HAVANA CONFERENCE 2006 : INDIA'S ROLE

हवाना सम्मेलन 2006: भारत की भूमिका

Authors

  • Vinod Kumar Senior Academic Research, Postdoctorate, Ph.D., M.Phil., UGC NET and Extension Lecturer, Department of Political Science, Government College, Bahadurgarh

DOI:

https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v4.i1.2023.6473

Keywords:

Confluence of Civilizations, Moderation, Terrorism, Preventive War, Hegemony, Human Rights, Unilateralism, Inclusive Renewal

Abstract [English]

This paper evaluates the Havana Summit of the Non-Aligned Movement. India's role in the Non-Aligned Movement is assessed through this summit. This summit primarily represented a strong response to unipolar globalism. Havana was lavishly decorated for this grand event. This was the second time this country, with a population of 12 million, hosted this prestigious summit. The first Havana Summit was held in 1979. During this summit, the Cold War was at its peak. Movements against colonialism and imperialism were beginning to emerge; countries like Angola and Mozambique had gained independence. Fidel Castro sparked controversy in his speech at the United Nations by describing the former Soviet Union as a "natural partner" of the Non-Aligned Movement. However, circumstances have changed dramatically since then, although Fidel Castro remained steadfast in his ideological convictions and worldview until his final moments. However, on medical advice, he decided not to attend the 2006 Havana Summit and preferred to monitor the conference proceedings from his room at the Cuban Communist Party headquarters. During this time, he was recuperating from surgery. Regarding India's role, it played a significant and restrained role at the summit. Instead of harsh rhetoric, Indian delegates agreed to the final declaration approved by all heads of state and government.

Abstract [Hindi]

प्रस्तुत शोध पत्र गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के हवाना सम्मेलन का मूल्यांकन करता है। इस सम्मेलन के माध्यम से गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में भारत की भूमिका का मूल्यांकन किया गया है। यह सम्मेलन मुख्य रूप से एकध्रुवीय विश्ववाद के प्रति अपनी सशक्त प्रतिक्रिया के साथ सामने आया। इस शिखर सम्मेलन के भव्य आयोजन के लिए हवाना को पूर्ण रूप से सजाया गया था। 1.2 करोड़ की आबादी वाले इस देश ने दूसरी बार इस प्रतिष्ठित शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। इससे पूर्व हवाना प्रथम सम्मेलन 1979 में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के दौरान शीत युद्ध अपनी चरम सीमा पर था। उपनिवेशवाद तथा साम्राज्यवाद के विरुद्ध आन्दोलन उमरने लगे थे; अंगोला तथा मोजाम्बिक जैसे देशों को स्वतन्त्रता मिल गई थी। फिदेल कास्त्रो ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने भाषण में पूर्व सोवियत संघ को गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का “स्वाभाविक साथी“ बताकर एक विवाद उत्पन्न कर दिया था। परन्तु उस समय की परिस्थितियां अब नाटकीय रूप से बदल गई हैं यद्यपि फिदेल कास्त्रो अपने अन्तिम क्षणों तक अपनी वैचारिक प्रतिबद्धताओं और विश्व के प्रति दृष्टिकोण के प्रति स्वतन्त्र अडिग रहे। हालांकि, चिकित्सकिय सलाह पर उन्होने हवाना सम्मेलन 2006 में शामिल न होने का फैसला किया और क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय स्थित अपने कमरे से ही सम्मेलन की कार्यवाही पर नजर रखना पसन्द किया। इस दौरान वे एक शल्यक्रिया के बाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। जहाँ तक भारत की भूमिका का संबन्ध है तो इस शिखर सम्मेलन में अपनी महत्वपूर्ण एवं संयमित भूमिका निभाई। भारतीय प्रतिनिधियों ने कठोर बयानबाजी की अपेक्षा सभी राष्ट्राध्यक्षों एवं राष्ट्रप्रमुखों द्वारा अनुमोदित अन्तिम घोषणा पत्र पर सहमति जताई।

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Published

2023-06-30

How to Cite

Kumar, V. (2023). HAVANA CONFERENCE 2006 : INDIA’S ROLE. ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts, 4(1), 4762–4767. https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v4.i1.2023.6473