SWAMI VIVEKANANDA'S EDUCATIONAL PHILOSOPHY AND ITS INFLUENCE ON THE MODERN INDIAN EDUCATION SYSTEM

स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक दर्शन और आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली पर इसका प्रभाव

Authors

  • Preeti Singh Associate Professor, Department of Education, Apex University, Jaipur, Rajasthan, India.
  • Ratnee Devi Research Scholar, Department of Education, Apex University, Jaipur, Rajasthan, India.

DOI:

https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i3.2024.6149

Keywords:

Swami Vivekananda, Educational Philosophy, Self-Realisation, Value-Based Education, Vocational Education, Holistic Development, Nep 2020

Abstract [English]

Swami Vivekananda's educational philosophy emphasises the holistic development of individuals, integrating intellectual, moral, spiritual and physical growth. His vision continues to shape the modern Indian education system, particularly through promoting self-realisation, character building and practical learning. This study explores the continued relevance of Vivekananda's philosophy in contemporary education, focusing on its impact on curriculum, teacher training, value-based education and vocational skills. The integration of his ideas into India's National Education Policy (NEP) 2020 highlights the importance of skill development, employability and social responsibility. Vivekananda’s advocacy for experiential learning, moral education and empowerment remains central to educational reforms aimed at creating well-rounded, self-reliant individuals. His emphasis on vocational education, coupled with his teachings on practical wisdom, continues to guide policies aimed at bridging the gap between academic learning and real-world applications. This paper examines how his educational principles have been incorporated into modern practices and their influence on secondary and higher education in India, shaping curriculum, teacher training programmes and skill development initiatives.

Abstract [Hindi]

स्वामी विवेकानंद का शैक्षिक दर्शन बौद्धिक, नैतिक, आध्यात्मिक और शारीरिक विकास को एकीकृत करते हुए व्यक्तियों के समग्र विकास पर जोर देता है। उनकी दृष्टि आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली को आकार देना जारी रखती है, विशेष रूप से आत्म-साक्षात्कार, चरित्र निर्माण और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देने के माध्यम से। यह अध्ययन समकालीन शिक्षा में विवेकानंद के दर्शन की निरंतर प्रासंगिकता का पता लगाता है, पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण, मूल्य-आधारित शिक्षा और व्यावसायिक कौशल पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करता है। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में उनके विचारों का एकीकरण कौशल विकास, रोजगार और सामाजिक जिम्मेदारी के महत्व पर प्रकाश डालता है। अनुभवात्मक शिक्षा, नैतिक शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए विवेकानंद की वकालत शैक्षिक सुधारों के लिए केंद्रीय बनी हुई है जिसका उद्देश्य अच्छी तरह से विकसित, आत्मनिर्भर व्यक्ति बनाना है। व्यावसायिक शिक्षा पर उनका जोर, व्यावहारिक ज्ञान पर उनकी शिक्षाओं के साथ मिलकर, अकादमिक शिक्षा और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से नीतियों का मार्गदर्शन करना जारी रखता है। यह शोधपत्र इस बात की जांच करता है कि उनके शैक्षिक सिद्धांतों को आधुनिक प्रथाओं में कैसे शामिल किया गया है और भारत में माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर उनका प्रभाव, पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और कौशल विकास पहल को आकार देना।

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Published

2024-03-31

How to Cite

Singh, P., & Devi, R. (2024). SWAMI VIVEKANANDA’S EDUCATIONAL PHILOSOPHY AND ITS INFLUENCE ON THE MODERN INDIAN EDUCATION SYSTEM. ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts, 5(3), 2032–2038. https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i3.2024.6149