VARIOUS DIMENSIONS OF COMMUNICATION IN SHRI RAMCHARITMANAS

श्रीरामचरितमानस में संचार के विविध आयाम

Authors

  • Mahendra Pratap Singh Research Scholar, Bhaskar Institute of Mass Communication and Journalism, Bundelkhand University, Jhansi, Uttar Pradesh.
  • Dr. Umesh Kumar Assistant Professor, Bhaskar Institute of Mass Communication and Journalism, Bundelkhand University, Jhansi, Uttar Pradesh.

DOI:

https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i1.2024.5755

Keywords:

Shri Ramcharitmanas, Communication, Traditional Indian Communication, Indian Concept of Communication, Communication in Shri Ramcharitmanas

Abstract [English]

Communication is the basis of progress of human society. Communication plays an important role in the non-human world as well. Communication is the means of many activities taking place in humans and other living beings. Developed life forms cannot be imagined without communication. Many forms of human communication have been described in communication science. Since ancient times, Indian sages, scholars and literary creators have pondered over all these forms of communication and have used them in various works. Shri Ramcharitmanas is one such epic, in whose expression Tulsidas ji has not only used these forms of communication, but has also given space to new experiments. In this research article, various forms and dimensions of communication described in Shri Ramcharitmanas have been studied. Keeping in view the word limit of the research article, verbal-nonverbal communication, symbolic communication, intrapersonal communication, interpersonal communication, group communication, mass communication and communication from non-human nature have been made the basis.

Abstract [Hindi]

संचार मानव समाज की प्रगति का आधार है। मानवेतर जीव-जगत में भी संचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मानवों और अन्य जीवों में होने वाली अनेक गतिविधियों का साधन संचार ही है। संचार के बिना विकसित जीवन रूपों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संचार-शास्त्र में मानवीय संचार के अनेक रूपों का वर्णन किया गया है। प्राचीन काल से भारतीय मनीषियों, विद्वानों और साहित्य-सर्जकों ने संचार के इन सभी रूपों पर मंथन किया है तथा इनका प्रयोग विविध रचनाओं में किया है। श्रीरामचरितमानस ऐसा ही एक महाकाव्य है, जिसकी अभिव्यक्ति में तुलसीदास जी ने संचार के इन रूपों का उपयोग तो किया ही है, साथ ही नवीन प्रयोगों को भी स्थान दिया है। प्रस्तुत शोध आलेख में श्रीरामचरितमानस में वर्णित संचार के विविध रूपों और आयामों का अध्ययन किया गया है। शोध आलेख की शब्द सीमा को दृष्टिगत करते हुए इसमें शाब्दिक-अशाब्दिक संचार, सांकेतिक संचार, अंतरावैयक्तिक संचार,अंतर्वैयक्तिक संचार, समूह संचार, जनसंचार और मानवेतर प्रकृति से संचार को आधार बनाया गया है।

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तुलसीदास, (वि. सं. 2080), श्रीरामचरितमानस, बालकांड, चौपाई-5 दोहा-232. गोरखपुर, गीताप्रेस

तुलसीदास, (वि. सं. 2080), श्रीरामचरितमानस, अरण्यकांड, चौपाई-9 दोहा-34. गोरखपुर, गीताप्रेस

तुलसीदास, (वि. सं. 2080), श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड, चौपाई-10 दोहा-13, गोरखपुर, गीताप्रेस

तुलसीदास, (वि. सं. 2080), श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड, चौपाई-2 दोहा-27, गोरखपुर, गीताप्रेस

तुलसीदास, (वि. सं. 2080), श्रीरामचरितमानस, अरण्यकांड, चौपाई-9 दोहा-30. गोरखपुर, गीताप्रेस

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Published

2024-01-31

How to Cite

Singh, M. P., & Kumar, U. (2024). VARIOUS DIMENSIONS OF COMMUNICATION IN SHRI RAMCHARITMANAS. ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts, 5(1), 2676–2681. https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i1.2024.5755