WOMAN MARKING TRADITION IN INDIAN PAINTINGS

भारतीय चित्रों में नारी अंकन परंपरा

Authors

  • Dr. Yogeshwari Ferozia Faculty of Painting Raja Mansingh Tomar University of Music and Arts, Gwalior-474002

DOI:

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v7.i11.2019.3758

Keywords:

भारतीय, परंपरा, नारी

Abstract [English]

English: In our ancient Indian religious texts, painting is considered to be the best among all the arts. It is supposed to give religion, artha, kama and moksha such as


Kalanan Pravarna Chitram Dharmakamarthamoksadam.
Mangalya Pratham Hyattad Graha Yatra Pratishtam 4


Just like Sumeru in mountains, Garuda in egg animals, Raja in humans and painting in arts is best.


Such as Sumeru Pravaro Naganan Yathandjanan Garud: Pradhan.
As Jananan Pravar: Kshishistha and Kalanamichitrachalakpa: ॥1


According to the trilogy
'Chitraan sarv shilpanan mukh lokasya ch priyam'
That is, painting is prominent in all crafts.
The Kamasutra discusses six limbs for the rest of the picture.
Roopbheda: Proof of sentiment.
Analogy


Hindi: हमारे प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथों में समस्त कलाओं में चित्रकला को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह धर्म, अर्थ, काम और मौक्ष को देने वाली है यथा


कलानां प्रवरं चित्रं धर्मकामार्थमोक्षदम्‌।
मंगल्य प्रथमं ह्येतद्‌ ग्रहे यत्र प्रतिष्ठितम्‌॥

जिस प्रकार पर्वतों में सुमेरू, अण्डज प्राणियों में गरुड, मनुष्यों में राजा एवं कलाओं में चित्रकला सर्वोत्तम है।


यथा सुमेरु प्रवरो नागानां यथाण्डजानां गरुडः प्रधानः।
यथा जनानां प्रवरः क्षितीशस्तथा कलानामिहचित्रकल्पः॥1

समरांगण सूत्रधार के अनुसार
'चित्रं हि सर्व शिल्पानां मुखं लोकस्य च प्रियम्‌'
अर्थात्‌ सभी शिल्पों में चित्रकला प्रमुख है।
कामसूत्र में एक शेष चित्र के लिए छह अंगों की चर्चा है।
रूपभेदाः प्रमाणानि भाव-लावण्य योजनम्‌।
सादृश्यं वर्णिका भंग इति चित्र षडंगकम्‌॥2

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References

विष्णुधर्मोत्तरपुराण, तृतीय खण्ड (4.143.38)

वात्स्यानन, कामसूत्र, यशोधरं कृत मंगल टीका, पृ. 88

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गुप्त, जगदीशचन्द्र, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला, फलक 2, चित्र 1, पृ. 387, व्याखया, पृ. 359

गुप्त, जगदीशचन्द्र, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला, फलक 2, चित्र 1, पृ. 366, व्याखया, पृ. 359

गुप्त, जगदीशचन्द्र, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला, फलक 2, चित्र 2, पृ. 366, व्याखया, पृ. 359

गुप्त, जगदीशचन्द्र, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला, फलक 2, चित्र 3, पृ. 366, व्याखया, पृ. 359-360

गुप्त, जगदीशचन्द्र, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला, फलक 1, चित्र 2, पृ. 396, व्याखया, पृ. 377

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Published

2019-11-30

How to Cite

Ferozia, Y. (2019). WOMAN MARKING TRADITION IN INDIAN PAINTINGS: भारतीय चित्रों में नारी अंकन परंपरा. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 7(11), 301–305. https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v7.i11.2019.3758