ENVIRONMENT MANAGEMENT AND SOCIETY

पर्यावरण प्रबन्धन एवं समाज

Authors

  • Nirmala Shah Shaskiya girl bachelor college ujjain

DOI:

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9SE.2015.3280

Keywords:

पर्यावरण, मानव, विकास

Abstract [English]

Human and environment are closely related. The environment affects humans directly and indirectly. The concept of self-reliant development is based on an integrated approach to environmental and development policies, which aims at maximizing economic benefits from an ecological region and minimizing environmental hazards and risks. It includes, to fulfill the needs and expectations of the present without compromising the capabilities of the future. To achieve this, we have to do ecological co-ordination of development in which we must reconfigure our priorities and abandon the one-dimensional paradigm which sees growth with a certain limited view, in which objects are placed higher rather than individuals who have Instead of our happiness, our needs have increased.


मानव और पर्यावरण का निकट का सम्बन्ध है। पर्यावरण मानव को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। स्वावलम्बी विकास की अवधारणा पर्यावरण एवं विकास नीतियों के एकीकृत नजरिये पर आधारित है जिनका अभिप्राय किसी पारिस्थितिक क्षेत्र से अधिकाधिक आर्थिक लाभ लेना एवं पर्यावरण के संकट एवं जोखिम को न्यूनतम करना है। इसमें अन्तर्निहित है, वर्तमान की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को भविष्य की क्षमताओं से समझौता किये बिना पूरा करना। इसको प्राप्त करने के लिये हमें विकास का पारिस्थितिक समन्वय करना होगा जिसमें हमें अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्निन्यास करना चाहिये तथा एक आयामी प्रतिमान छोड़ देना चाहिये जो कि वृद्धि को कतिपय सीमित दृष्टिकोंण से देखता है, जिसमें व्यक्ति के बजाय वस्तुओं को उच्चतर स्थान दिया जाता है जिसने हमारे सुख की बजाय हमारी आवश्यकताओं में वृद्धि कर दी है।

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References

पर्यावरण के विविध घटकों को प्रदूषित होने से बचाना।

मानव की पर्यावरण-प्रदूषण से रक्षा।

विलुप्तशील प्रजातियों का संरक्षण।

विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में पर्यावरण-प्रबन्ध हेतु समन्वय बनाना।

विकास योजनाओं का पर्यावरणीय प्रभाव के दृष्टिकोंण से विश्लेषण करना।

पर्यावरण सम्बन्धी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय नीति-निर्धारण में सहयोग करना।

पर्यावरण की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु निरन्तर पुनरीक्षण हेतु व्यवस्था करना।

पर्यावरण-संरक्षण एवं प्रबन्धन हेतु पर्याप्त मानवीय एवं संस्थागत साधनों को जुटाना।

पर्यावरण-चेतना जाग्रत करना एवं पर्यावरण शिक्षा का विस्तार करना।

प्रबंधन हेतु किये गये उपायोग के परिणामों की सतत् जाँच एवं सुरक्षा

पर्यावरण नियोजन हेतु प्रारूप तैयार करना।

पर्यावरण के विविध पक्षों पर शोध कार्यों को बढ़ाना।

वास्तव में पर्यावरण-प्रबन्धन नीति वर्तमान युग की महती आवश्यकता है। अतः इस पर समुचित ध्यान देना आवश्यक है।

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Published

2015-09-30

How to Cite

Shah, N. (2015). ENVIRONMENT MANAGEMENT AND SOCIETY: पर्यावरण प्रबन्धन एवं समाज. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 3(9SE), 1–2. https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9SE.2015.3280