ROLE OF SOCIETY IN CONSERVATION OF NATURAL RESOURCES ENVIRONMENTAL CONSCIOUSNESS AND SOCIAL, MEDICINAL VALUE

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में समाज की भूमिका पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक, औषधीय मूल्य

Authors

  • Ranjana Sharma Institute of Excellence in Higher Education, Bhopal (MP)

DOI:

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9SE.2015.3271

Keywords:

प्राकृतिक संसाधन, समाज, पर्यावरणीय चेतना

Abstract [English]

The objective of the World Nature Fund India has always been that we participate in sustainable and equitable development with the protection of nature and environment. 1
Contamination occurs as long as external substances come into our environment. Initially it is in small quantities, causing human harm to a level until it falls into the category of contamination, but as soon as this limit is violated, it becomes pollution rather than contamination.
In the Hindu scripture "Varaha Purana" it is said that the five Mahayagas are the benefactors of trees. They treat planets by giving them shade and rest to fuel pilgrims, birds to nests and medicine to all living beings with leaves, roots and ulcers.


विश्व प्रकृति निधि भारत का हमेशा ही यह उद्देश्य रहा है कि हम प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के साथ दीर्घकालिक तथा न्याय संगत विकास करने में सहभागी बनें।1
जब तक हमारे पर्यावरण में बाह्य पदार्थ आकर मिलते हैं संदृषण होता है। प्रारम्भ में यह अल्प मात्रा में होता है, जिससे एक स्तर तक मनुष्य को कोई हानि नहीं पहुँचती तब तक यह संदूषण की श्रेणी में, लेकिन जैसे ही इस सीमा का उल्लंघन होता है तो यह दूषण संदूषण न रहकर प्रदूषण बन जाता है।
हिन्दू धर्म ग्रन्थ ‘‘वाराह पुराण’’ में लिखा है कि वृक्षों के उपकार पाँच महायज्ञ हैं। वे ग्रहस्थों को ईंधन पथिकों को छाया तथा विश्राम, पक्षियों को घोंसले तथा पत्ते, जड़ एवं छालों से सारे जीवों को औषधि देकर उनका उपचार करते हैं।

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References

प्रदूषण और हम - डाॅ. प्रेम श्रीवास्तव, डाॅ. नीरज वर्मा, विश्व प्रकृति निधि भारत, भारत मध्य प्रदेश राज्य कार्यालय पर्यावरण परिसर, भोपाल

वराह पुराण - 31.1214

वैज्ञानिक पत्रिका - विज्ञान प्रगति वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली - जुलाई 2008

प्रकृति बाजार पर्यटन - इक्वेशन्स, (इक्विटेबल टूरिज्म आॅप्शन्स) पृष्ठ - 9

भारत प्रकृति संरक्षण की गवेशणा पृष्ठ - 9

हरीतिमा आचार्य भागवत दुबे, ‘‘विकास एवं पर्यावरण संस्थान’’ पृष्ठ - 9 प्रकाश अविनाश खत्री - 1996 किरण प्रकाशन ‘‘गुलिस्ता’’ मदन महल, जबलपुर

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सर्वे आॅफ एन्वायरमेंटल - 1997, 2001 द हिन्दू प्रकाशन प्रदूषण क्या है ? नई दिल्ली

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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Published

2015-09-30

How to Cite

Sharma, R. (2015). ROLE OF SOCIETY IN CONSERVATION OF NATURAL RESOURCES ENVIRONMENTAL CONSCIOUSNESS AND SOCIAL, MEDICINAL VALUE: प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में समाज की भूमिका पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक, औषधीय मूल्य. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 3(9SE), 1–3. https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9SE.2015.3271