Article Type: Research Article Article Citation: Krishna Kumar Verma, Chhedi Lal Verma, Munna
Singh, Yash Pal Singh, T. Damodaran, A. K. Singh, and Vinay Kumar Mishra.
(2020). PREDICTION OF PHOTOSYNTHETIC RESPONSES BY MATHEMATICAL MODEL. International
Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 1(1), 102-120. DOI:
https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i6.2020.402 Received Date: 7 May 2020 Accepted Date: 22 June 2020 Keywords: गणितीय मुख्य पादप अनुक्रियाओं
का पूर्वांकलन
English: Plant photosynthetic responses such as photosynthesis,
transpiration rate and stomatal conductance are interrelated. There is a
definite tendency for variability between photosynthetic responses and leaf
positions at different branches. The variability is in the form of diurnal
variations relative to the leaf positions of photosynthesis, transpiration and
stomatal conductance on the same branch of Jatropha curcas plants. This
research paper presented shows that the correlation between plant
photosynthetic responses through mathematical modeling. Through the proposed
model, the characteristic of plant responses constants for jatropha plants were
calculated and the different deviation from their observed value was calculated
by calculating the different plant photosynthetic parameters. In the comparative
study, the average deviation of the photosynthetic responses ranged from 1.69 -
13.21. This model can be easily used in calculating plant photosynthetic
responses according to their leaf positions on the branches of other plants. Hindi: पादप कार्यिकी
अनुक्रियायें
यथा प्रकाश संश्लेषण, उत्स्वेदन एवं
रंघ्रीय चालकता
परस्पर सह संबंधित
हैं। शाखाओं
पर विभिन्न स्थितियों
पर अवस्थित पर्णों
के पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं एवं
पर्ण स्थिति के
बीच परिवर्तनीयता
की एक निश्चित
प्रवृत्ति होती
है। जट्रोफा
की सरल शाखा पर
स्थित विभिन्न
पत्तियों के प्रकाश
संश्लेषण, उत्स्वेदन दर
एवं रंघ्री चालकता
की पर्ण स्थिति
के सापेक्ष परिवर्तनीयता
एक घण्टाकृति के
रूप में होती हैं। प्रस्तुत
शोध पत्र में पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
के परस्पर सह संबंध
को गणितीय सूत्र
के माध्यम से दर्शाया
गया है।
प्रस्तावित प्रतिदर्श
के द्वारा जट्रोफा
के लिये अभिलाक्षणिक
पादप कार्यिकी
युगल अनुक्रिया
स्थिरांकों की
गणना की गयी एवं
उनसे विभिन्न पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
की गणना करके उनके
प्रेक्षित मान
से प्रतिशत विचलन
की गणना की गयी। तुलनात्मक
अध्ययन में कलित
पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं का
औसत विचलन 1.69 से 13.21% के बीच रहा। इस प्रतिदर्श
का प्रयोग अन्यान्य
पौधों के शाखाओं
पर अवस्थित पत्तियों
की उनकी स्थिति
के अनुरूप पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
की गणना में सहजता
पूर्वक किया जा
सकता है।
1.
प्रस्तावना
प्रकाश
संश्लेषण, उत्स्वेदनए
रंघ्री चालक
एवं अन्य पादप
कार्यिकी अनुक्रियायें
तथा उनसे
संबंधित
जैव-रासायनिक
विकर
नियंत्रित
अन्यान्य
क्रियायें
परस्पर संबंध
रखती है और
पौधों की
उत्पादकता
सुनिश्चित
करती हैं।
प्रकाश
संश्लेषण और
उससे संबंधित
अन्य पादप
क्रियायें जैसे
प्रकाश
संश्लेषणए
उत्स्वेदनए
श्वसन, रंघ्री
चालकता आदि
प्रकाश
तीव्रता, वायुमण्डलीय
आर्द्रता, तापक्रम, वायु वेग, मृदा
स्वास्थ्य, मृदा से पोषक
तत्वों की
पूर्णता, मृदा
आर्द्रता, पादप
प्रजाति, वायुमंडल
में कार्बन
डाइआक्साइड
की सान्द्रता, पादप
स्वास्थ्य, आदि अनेक
परिवर्तनशील कारकों
पर निर्भर
करता है।
पौधों की
विकसित हो रही
शाखा एवं
प्रशाखाओं पर
नवीन पर्ण
अथवा पर्णकों
की पादप
क्रियाओं का
दर पूर्णरूप
से विकासित
पर्ण/पर्णकों
की पादप
क्रियाओं के
दर से कम होता
है। इसी
प्रकार
शाखाओं पर
नीचे की ओर
स्थित पुराने
पर्ण/पर्णकों
क्रियायें
शिथिल पड़ने
लगती हैं। एक पर्ण
अथवा पर्णक जव
नवसृजित होता
है तो उसमें
पर्ण हरित की
मात्रा कम
होने के कारण
प्रकाश
संश्लेषण एवं
उससे सह
संबंधित जैव
रासायनिक
क्रियायें की
दर न्यूनतम
स्तर पर रहती
है। जैसे-2 पर्ण/पर्णकी
का विकास होता
है उसमें पर्णहरित
की मात्रा
बढ़ती जाती है
एवं पर्णकों
का क्षेत्रफल
बढ़ता जाता है
परिणामस्वरूप
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें
तीव्रतर होती
जाती हैं। पूर्ण
विकसित पर्ण
में पर्णहरित
की अधिकतम
उपस्थिति तथा
अधिकतम
क्षेत्रफल
प्रसार के
कारण पादप कार्यिकी
प्रकाश
आधारित
अनुक्रियायें
अधिकतम स्तर
पर पहुंच जाती
है। इस प्रकार
एक शाखा अथवा
प्रशाखा पर स्थित
विभिन्न
पर्णों की
पादप
कार्यिकी की प्रकाशीय
अनुक्रियायें
भिन्न-2
दर से होती
रहती है। एक
पूर्ण विकसित
शाखा पर स्थित
विभिन्न
पर्णों की
प्रकाशीय अनुक्रियायें
उनकी स्थिति
पर निर्भर
करती है। एक
विशेष पादप
प्रजाति की
शाखा पर
विभिन्न पर्ण
स्थिति पर
अवस्थित पर्ण
की पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें
एक फलन के रूप
में होती है। यदि
पुराने पर्ण
की स्थित एक
मान ली जाये
तो जैसे-2
शीर्ष की ओर
बढ़ेंगे पर्ण
स्थिति एक, दो,
तीन, चार
....आदि
नामांकित कर
सकते हैं। इस क्रम
को उल्टा करके
भी पर्ण
स्थिति को
परिभाषित
किया जा सकता है।
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें
ऊपर की ओर बढ़ने
पर बढ़ती हैं
और अधिकतम
स्तर पर जाकर
पुनः घटने
लगती हैं। प्रकाश
संश्लेषण एवं उससे
संबंधित पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें
जैसे
उत्स्वेदन
एवं रंघ्रीय चालकता
की
परिवर्तनीयता
में समरूपता
होती है। इस
समरूपता के कारण
यदि कोई एक
पादप
कार्यिकी
प्रकाशीय
अनुक्रिया
ज्ञात हो तो
अन्य
अनुक्रियाओं
की गणना के
लिये गणितीय
प्रतिरूप/प्रतिदर्श
का विकास किया
जा सकता है। गणितीय
प्रतिरूपों
के माध्यम से
पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के अन्तगर्णन, बर्हिगणन
एवं सामान्य
गणन में
अत्यन्त
सहजता आ जाती
है।
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं को
दैनिक रूप में
विभिन्न पर्ण
स्थितियों पर स्थित
पर्णों का एक
बड़े
क्षेत्रफल पर
मापन अत्यन्त
श्रम साध्य
एवं
समयोपभोगी
प्रक्रिया है। गणितीय
प्रतिरूपों
के माध्यम से
पादपकार्यिकी
अनुक्रियाओं
की गणना से
उनके मापन में
लगने वाले समय
को तथा विशाल
आंकड़ों के
प्रबन्धन के
श्रम में
पर्याप्त कमी
की जा सकती
है। गणितीय प्रतिरूपों
के माध्यम से
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के समझने में
बड़ी सहायता
मिलती है। इन
प्रतिरूपों
के फलन से
पादप की
उत्पादकता ज्ञात
करना पोषक
तत्वों एवं
सिंचाई जल के
प्रबंधन में
बड़ी सहायता
मिलती है। प्रस्तुत
शोध पत्र में
जट्रोफा की
शाखाओं पर
विभिन्न
स्थितियों पर
अवस्थित पर्ण
के पादप कार्यिकी
प्रमुख
अनुक्रियाओं
की गणना को
प्रतिरूप के
माध्यम से
प्रस्तुत
किया गया है। जट्रोफा
जैव-डीजल
प्रदान करने
वाला वैश्विक
स्तर पर
बहुचर्चित एक
पौधा है।
जट्रोफा एक
सूखा प्रतिरोधी
तेल प्रदान
करने वाला
पौधा है जो
उष्ण कटिबंधीय
एवं उपोष्ण
जलवायु में
बहुतायत मे पाया
जाता है। यह मध्य
एवं दक्षिण
अमेरिका, अफ्रीका, भारत एवं
दक्षिण पूर्व
एशिया में सहजता
से उगाया जा
सकता है ।
जट्रोफा के
बीज में 25-32 प्रतिशत तेल
होता है।
विकासशील
देशों की बढ़ती
खनिज तेल की
मांग उनके
विकास में अवरोध
उत्पन्न कर
रही है। खनिज
तेल का भण्डार
सीमित होने के
कारण भी खनिज
तेल के
वैकल्पिक स्रोतों
की महत्ता
बढ़ती जा रही
है। भारतवर्ष
में जट्रोफा
के व्यापक
स्तर पर
उत्पादन की
संस्तुति
होती रही है।
बहुत से गैर
सरकारी
संस्थान भी
इसके सफल
उत्पादन की
दिशा में
कार्यरत् रहे
है। जट्रोफा
का उत्पादन कम
उपजाऊ
भूमियों, उपेक्षित
भूमियोंए
परती भूमियों
एवं व्यर्थ
भूमियों में
किये जाने की
संस्तुति
है। भारतवर्ष
में एक अनुमान
के अनुसार 120 लाख
हेक्टेअर
भूमि
जलाक्रान्त
एवं 67ण्3 लाख
हेक्टेअर
भूमि लवणीय
है। इन
मृदाओं में
जट्रोफा के
व्यापक स्तर
पर उत्पादन से
पूर्व
जट्रोफा के
प्रमुख पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
का अध्ययन
आवश्यक हो
जाता है क्योंकि
ये
अनुक्रियायें
उत्पादकता के
प्रमुख
सूचकांक है।
वर्तमान अध्ययन
जट्रोफा की
प्रमुख
शाखा/तने पर
विभिन्न पर्ण
स्थितियों पर
अवस्थित पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
का अध्ययन
किया गया तथा
उनके परस्पर
गणना के
प्रतिरूप को
विकसित किया
गया। 1.
सामग्री
एवं विधि
1.1. पादप
सामग्री एवं वृद्धि
की दशायें
जट्रोफा
के तने से 18-20 सेमी लम्बी
कटिंग से
तैयार की गयी 45 दिन पुरानी
नवोद्भिद् (पौध) को 30 सेमी व्यास
एवं 40 सेमी गहरे
गमले में
उगाया गया। इन समान
नवोद्भिद् को
जल की दो
अवस्थाओं में
बड़ा किया
गया।
जल की पहली
अवस्था-क्षेत्र
धारिता एवं
दूसरी अवस्था
जलाक्रान्त
थी।
जलाक्रान्त
अवस्था गमले
में 5 सेमी का सतत्
जल स्तर सृजित
कर
प्रतिरूपित
किया गया। जल की
दोनों
अवस्थायें
चार सप्ताह तक
बनाये रखी गयी
और जट्रोफा पत्तियों
के प्रकाश
संश्लेष्णीय
निष्पादनों का
मापन किया
गया।
जलाक्रान्त
प्रतिबल
अरोपण समाप्त
होने पर मृदा
आर्द्रता 6.5+2.1 प्रतिशत एवं
नियन्त्रित
प्रयोग (क्षेत्र
धारिता)
में मृदा
आर्द्रता 36+1.5 प्रतिशत
पायी गयी। प्रयोग
में प्रयुक्त
मृदा का मृदा
विन्यास
चिकनी-मटियार-भूड़
(सिल्टी-क्ले-लोम) थी जिसका
पी.एच. मान 7.1 था। जैव
कार्बन, नत्रजन, फास्फोरस
एवं पोटाश का
स्तर क्रमशः 0.8%, 245, 35.5 एवं 172
किग्रा/हे0 था। 1.2.
प्रकाश
संश्लेषणीय
अभिलक्षणों
का मापन
शुद्ध
कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण, उत्स्वेदन
एवं रंघ्री
चालकता का
मापन सुवाह्य
अनावृत्त
प्रणाली के CIRUS-1, IRGA के
द्वारा (PP System,
England) (प्राकृतिक
प्रकाश में 9.00
से 10.00 बजे प्रातः) किया गया।
उच्च तापक्रम
एवं निम्न
सापेक्ष आर्द्रता
से बचने के
लिये यह मापन
फोटोन अभिवाह
धनत्व के 1500-900
माइक्रोमोल/मी2/से से अधिक
होने पर किया
गया।
यह मापन जट्रोफा
पर्ण के एक से
बारह
स्थिति के
लिये किया
गया। 2. परिकल्पना
जट्रोफा
के मूल तने पर
स्थित पत्तियों
की मुख्य पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें, प्रकाश
संश्लेषणए
उत्स्वेदन
तथा रंघ्री चालकता
नीचे से ऊपर
की ओर बढ़ने पर
एक अधिकतम स्तर
तक बढ़ती है और
तत्पश्चात्
पुनः घटते
हुये क्रम से
शीर्षस्थ
पर्ण के न्यूनतम
स्तर तक पहुँच
जाती है।
जट्रोफा करकस एल
के पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
का पर्ण स्थित
के अनुसार परिवर्तनीयता
घण्टाकृति
रूप में
पदर्शित होती
है। किसी
प्रणाली की सह
संबद्धित
अनुक्रियाओं
में यदि
समरूपता हो तो
किन्हीं युगल
अनुक्रियाओं
का अनुपात
स्थिर होता है।
इसे निम्न
प्रकार से
सत्यापित कर
सकते है। यदि
किसी प्रणाली
के सह संबंध
अनुक्रियाओं
में बहुघातीय
गणितीय
अनुरूपता है
तो इन
अनुक्रियाओं
को सामान्य
रूप में
निम्नलिखित
रूप में प्रकट
किया जा सकता
है। जहाँ Rix = x
स्थिति पर
स्थित पर्ण की
पादप कार्यिकी
अनुक्रिया, i का मान αi =अनुक्रिया
‘i’ को
प्रकट कराने
वाला
स्थिरांक n =
अभिलाक्षणिक
घातांक यदि युगल
अनुक्रियाओं
में प्रमुख
अनुक्रिया को
निम्न रूप से
प्रकट किया
जाय। एवं दूसरे
अनुपूरक
अनुक्रिया को
निम्न रूप से
प्रकट किया जा
सके। समीकरण (2) एवं (3)
का अनुपात
लेने पर यहां l = α1/α2 = स्थिरांक, n1-n2 = c = स्थिरांक
है । x के
विभिन्न मान
के लिये R1x/R2x की गणना की जा
सकती है। जब x=1 होने पर, नया
स्थिरांक x = 2 होने पर, नया
स्थिरांक x = 3 होने
पर, नया
स्थिरांक x = N होने
पर, नया
स्थिरांक अतः
स्थिति सापेक्ष
अनुक्रियाओं
के युगल
अनुपात स्थिर
रहते हैं। उपरोक्त
परिकल्पना के
आधार पर किसी
विशिष्ट प्रजाति
के पादप के
पर्ण स्थित
सापेक्ष पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
की परिवर्तन
के अनुक्रमिक
अनुपात
निश्चित रहता
है। एक स्थान
विशेष पर मृदा, जल एवं
उर्वरता के
अनुरूप इन
स्थिरांको को
प्रयोग के
माध्यम से
पूर्व
निर्धारित किया
जा सकता है।
किन्हीं
युगल अनुक्रियाओं
के एक का मान
ज्ञात होने पर
पूर्व आंकलित
स्थिरांकों
के माध्यम से
दूसरी सह
संबंधित
अनुक्रिया के
मान की गणना
सहजता से की
जा सकती है। 2.1. पादप
कार्यिकी
युगल
अनुक्रिया
स्थिरांक
प्रमुख
पादप
कार्यिकी
अनुक्रिया, प्रकाश
संश्लेषण, (PN) उत्स्वेदन (E) एवं रंघ्री
चालकता (gs)
के युगल
अनुक्रिया
स्थिरांकों (l) को निम्नरूप
से परिभाषित
किया गया। प्रकाश
संशलेषण-उत्स्वेदन
दर स्थिरांक [λ(PN-E)]
प्रकाश
संश्लेषण-
रंघ्रीय
चालकता
स्थिरांक [λ(PN-gs)]
उत्स्वेदन-शुद्ध
कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
स्थिरांक [λ(E-PN)]
उत्स्वेदन-रंघ्रीय
चालकता
स्थिरांक [λ(E-gs)]
रंघ्रीय
चालकता-शुद्ध
कार्बनडाईआक्साइड
स्वांगीकरण
स्थिरांक [λ(gs-PN)]
रंघ्रीय
चालकता -
उत्स्वेदन
स्थिरांक [λ(gs-E)]
यहाँ¡ lx प्रमुख पादप
कार्यिकी
अनुक्रिया
युगल की पर्णस्थित, ग के अनुरूप
स्थिरांक
है।
निश्चित
वायुमण्डलीय
कारकों [सौर
विकरण, वायुमण्डलीय
आर्द्रता
वायु मण्डलीय
तापक्रम एवं
वायु गति, मृदा कारकों (मृदा प्रकार
उर्वरता
स्थित, मृदा
आर्द्रता, मृदा की
भौतिक एवं
रासायनिक
गुणों) एवं
पादप कारकों (पादप प्रकार
एवं प्रजाति) के लिये ये
स्थिरांक
नियत रहते हैं
। 3.
गणना
विधि
विभिन्न
पर्ण
स्थितियों के
लिये शुद्ध
कार्बन डाई
आक्साइड
स्वांगीकरण
दर,
उत्स्वेदन
दर एवं रंघ्री
चालकता का मान
सारणी 1
से एवं उनके
क्रमिक
अनुक्रिया
युगल स्थिरांक
सारणी 1-3
में
नियन्त्रित
प्रयोग दशा के
लिये तथा सारणी
4-6 में
जलाक्रान्त
दशा के लिये
दर्शाये गये
है। विभिन्न
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
युगल स्थिरांको
की गणना
समीकरण 9-14
के अनुसार की
गयी।
स्थिरांकों
की गणना के लिये
औसत पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के मान को
प्रयोग में
लाया गया।
स्थिरांको
की गणना
के पश्चात्
अज्ञात पादप
कार्यिकी
अनुक्रियओं
के मान की
गणना निम्न
सूत्रों के
प्रयोग से की
गयी। अ उत्स्वेदन
दर (E) से शुद्ध
कार्बन डाई
आक्साइड
स्वांगीकरण
दर (PN-E) की
गणना ब रंघ्री
चालकता से
शुद्ध कार्बन
डाई आक्साइड स्वांगीकरण
दर (PN-gs) की
गणना स शुद्ध
कार्बन डाई
आक्साइड
स्वांगीकरण
दर से उत्स्वेदन
दर (EPN) की
गणना द रंघ्री
चालकता से
उत्स्वेदन दर (gsPN) की
गणना य शुद्ध
कार्बन डाई
आक्साइड
स्वांगीकरण
दर से रंघ्री
चालकता (gsPN) की
गणना र उत्स्वेदन
दर से रंघ्री
चालकता ;हेम्द्ध
की गणना पूर्वकालिक
;ज्ञातद्ध
युगल
अनुक्रिया
स्थिरांको से
प्रमुख पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
की गणना को नियन्त्रित
दशाओं के लिये
सारणी 1-3
में तथा
जलाक्रान्त
दशा के लिये सारणी
4-6 में दर्शाया
गया है। गणना
द्वारा ज्ञात
किये गये
शुद्ध
कार्बनडाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर,
उत्स्वेदन
दर तथा रंघ्री
चालकता दर के
प्रेक्षित
दरों के
सापेक्ष
प्रतिशत
विचलन एवं मूल
माध्य विचलन
की गणना निम्न
प्रकार से की
गयी।
प्रतिशत
विचलन एवं
मूलमाध्य
वर्ग विचलन की
गणना को सारणी
7-9 नियन्त्रित
दशा के लिये
तथा सारणी 10-12 में
जलाक्रान्त
दशा के लिये
दर्शाया गया
है। 4.
परिणाम
एवं विवेचना
4.1. पादप
कार्यिकी
युगल
अनुक्रिया
अभिलाक्षणिक
स्थिरांक
पर्ण
स्थिति के
अनुरूप पादप
कार्यिकी
युगल अनुक्रिया
अभिलाक्षणिक
स्थिरांक को
सारणी 1
से 6 में दर्शाया
गया है।
प्रकाश संश्लेषण
उत्स्वेदन
स्थिरांक (lPNE) दशा के लिये 1.05 से 3.65 तथा
नियन्त्रित
प्रायोगिक
दशा के लिय 1.23 से 2.88 के बीच रहा।
इसी प्रकार
प्रकाश
संश्लेषण रंघ्र
चालकता
स्थिरांक ‘lPNgs’
जलाक्रान्त
दशा के लिये 0.07 से 0.22 के बीच और
नियन्त्रित
प्रयोगिक
परीक्षण के लिए
0.06 से 0.12 के बीच रहा।
उत्स्वेदन-शुद्ध
कार्बन डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
स्थिरांक lEPN 0.35 से 0.69 के बीच नियंत्रित
प्रायोगिक
परीक्षण के
लिये तथा 0.27 से 0.95 के बीच
जलाक्रान्त
दशा के लिये
और उत्स्वेदन रंघ्री
चालकता
स्थिरांक “lgsE” 0.02 से 0.06 के बीच नियन्त्रित
प्रयोगिक
परीक्षण दशा
के लिये एवं 0.03 से 0.07 के बीच
जलाक्रांत की
दशा में पाया
गया।
इसी प्रकार
रंघ्री
चालकता-कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
स्थिरांक lgsPN एवं रंघ्री
चालकता
उत्स्वेदन
स्थिरांक “lgsE” क्रमशः 8.50 से 16.58 के बीच और 16.22 से 41.45 नियन्त्रित
प्रयोगिक
परीक्षण दशा
के लिये तथा 4.62 से 15.00 के बीच और 15.38 से 37.84 के बीच
जलाक्रांत
दशा के लिये
पाये गये। 4.2. कलित
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
की तुलना
कलित पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
को सारणी 1 से 3 में
नियन्त्रित
दशा एवं सारणी
4 से 6 में
जलाक्रान्त दशा
के लिये उल्लेखित
है।
प्रेक्षित
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के सापेक्ष
कलित पादप
क्रियाओं का
प्रतिशत
विचलन एवं
माध्य विचलन
वर्गमूल को
सारणी 7-9
में
नियन्त्रित
दशा के लिये
और सारणी 10-12 में
जलाक्रान्त
दशाओं के लिये
प्रस्तुत किया
गया है।
प्रेक्षित
एवं कार्बन
डाईआक्साइड स्वांगीकरण
को चित्र 1 प्रेक्षित
एवं कलित
उत्स्वेदन को
चित्र 2
एवं
प्रेक्षित
एवं कलित
रंघ्रीय
चालकता को चित्र
3 में आरेखित
किया गया है। चित्र 1 तथा सारणी 1 को देखने से
ज्ञात होता है
कि कलित एवं
प्रेक्षित
शुद्ध कार्बन
डाइआक्साइड
स्वांगीकरण
दर एक
घण्टाकृति के रूप
में एक दूसरे
के निकटस्थ
है।
सारणी 7
को देखने से
ज्ञात होता है
कि नियंत्रित
दशा के लिए
उत्स्वेदन के
प्रेक्षित
मान से कलित शुद्ध
कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर का % विचलन
परास +0.69
से 20.18% प्रथम
प्रतिकृति, 0.00 से +3.53% द्वितीय
प्रतिकृति
एवं -1.59 से +15.61% तृतीय प्रति
कृति के लिये
रहा और इनका
माध्य विचलन
वर्ग का मूल
क्रमशः 0.3614, 0.1091 और 0.2864 रहा। इसी
प्रकार
रंघ्रीय
चालकता से
कलित शुद्ध
कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर का प्रतिशत
विचलन परास
प्रथम
प्रतिकृति के
लिये 0.00 से +9.44%,
द्वितीय
प्रतिकृति के
लिये 0.00 से -14.73% और तृतीय
प्रतिकृति के
लिये 0.00 से +12.82% रहा और संगत
औसत विचलन
क्रमशः 4.72, 2.90 एवं 2.38% रहा जबकि
माध्य विचलन
वर्ग का मूल 0.4367, 0.5075 एवं 0.3601
रहा। इसी
प्रकार चित्र 2ए सारणी 2 तथा सारणी 8 को देखने से ज्ञात
होता है कि
शुद्ध कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
से कलित
उत्स्वेदन दर
का प्रतिशत
विचलन परास
प्रथम
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिये +0.32 से +16.79%,
द्वितीय
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिय 0.22 से -3.66%ए तृतीय
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिये +1.30 से -18.50% जबकि इनके
संगत औसत:
विचलन 5.80ए 1.70 एवं 5.58%
तथा माध्य
विचलन वर्ग का
मूल 0.1716,
0.0569 एवं 0.1350 रहा।
रंघ्रीय
चालकता से
कलित उत्स्वेदन
दर का: विचलन
परास 0.00 से +19ण्73% प्रथम
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिये, -1.17 से -15_37% द्वितीय प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिये, 0.00 से -18.40%,
तृतीय
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के
लिये रहा। इनके
संगत औसत
प्रतिशत
विचलन 6.71, 4.51 एवं 6.01%
रहा जबकि
माध्य विचलन
वर्ग का मूल 0.2039, 0.2474 एवं 0.1954
रहा। चित्र 3, सारणी 3 तथा सारणी 9 को देखने से
ज्ञात होता है
कि शुद्ध
कार्बन डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
से रंघ्रीय
चालकता का
प्रतिशत विचलन
परास 0.00 से 10.43, 0.00 से +12.84%,
एवं 0.00
से 14.71% क्रमशः
प्रथम, द्वितीय
तथा तृतीय
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के लिये
पाया गया जबकि
इनका संगत औसत
प्रतिशत विचलन
4.84
, 4.33 एवं 3.87% जबकि माध्य
विचलन वर्ग का
मूल 4.5987,
5.4724 तथा 3.9477 रहा। इसी
प्रकार
उत्स्वेदन दर
से कलित रंघ्रीय
चालकता का
परास प्रथम, द्वितीय एवं
तृतीय
प्रतिकृति
अनुप्रयोग के 0.00 से -24.58%, +1.16 से 13.32% तथा 0.00 से +15.54% रहा जबकि
इनका संगत औसत
प्रतिशत
विचलन 7.43ए 4.27 और 5.83% तथा माध्य
विचलन वर्ग का
मान 4.6322, 5.6754
एवं 4.0070 रहा।
नियन्त्रित
प्रयोगात्मक
परीक्षण के लिये
कलित पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
मुख्यतः
शुद्ध कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर,
उत्स्वेदन
दर एवं रंघ्रीय
चालकता का औसत
प्रतिशत
विचलन 1.69%
से 7.73% मात्र रहा
अतः
प्रस्तावित
फलन
प्रतिदर्श ;माडलद्ध
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
की गणना में
नियन्त्रित
प्रयोग के
प्रतिरूप
अनुप्रयोगों
के लिये सफल
रहा। जलाक्रांत
दशा के लिये
कलित पादप
कार्यिकी अनुक्रियाओं
का प्रतिशत विचलन
एवं माध्य
विचलन वर्ग का
मूल सारणी 10ए 11 एवं 12
में दर्शाया
गया है। चित्र
1, सारणी 4 तथा सारणी 10 को देखने से
ज्ञात होता है
कि उत्स्वेदन
दर से कलित
शुद्ध कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर का प्रतिशत
विचलन परास +0.28 से -57.90%, +1.58 से -42.87% एवं +1.31 से 26.72% रहा जबकि
इनका संगत औसत
प्रतिशत
विचलन मात्र 10.91, 10.11
एवं 8.40% और माध्य
विचलन का मूल 0.2392, 0.1902 एवं 0.2270
रहा।
इसी प्रकार
रंघ्रीय
चालकता से कलित
शुद्ध कार्बन
डाईआक्साइड
स्वांगीकरण दर
का प्रतिशत
विचलन परास -0.19 से +35.73%, +1.31 से -42.87% तथा 0.00 से 16.67% रहा और
इनका संगत औसत
प्रतिशत
विचलन परास 11.17, 10.31
एवं 6.33% और माध्य
विचलन वर्ग का
मूल 0.1611, 0.1660
तथा 0.1445 रहा। चित्र 2, सारणी 5 तथा सारणी 11 को देखने से
ज्ञात होता है
कि शुद्ध
कार्बन डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर से कलित
उत्स्वेदन दर
का प्रतिशत
विचलन परास -0.21 प्रतिशत से +36.71%, +0.76 से 30.00% एवं -1.33 से -21.27% और उनके
संगत औसत
विचलन परास 9.35, 9.96
एवं 8.21% जबकि
माध्य विचलन
वर्ग का मान 0.0977ए 0.0812 एवं 0.0996
रहा।
इसी प्रकार
रंघ्रीय
चालकता से कलित
उत्स्वेदन दर
का प्रतिशत
विचलन परास +0.56 से +28.00%, 0.00 से -15.14% एवं 0.00 से -24.14% रहा। इनके
संगत औसत
प्रतिशत
विचलन 11.61, 5.48 एवं 8.46% तथा
माध्य विचलन
वर्ग का
मूल 0.088, 0.0548 एवं 0.0814
रहा। चित्र 3ए सारणी 6 तथा सारणी 12 को देखने से
ज्ञात होता है
कि शुद्ध
कार्बन डाईआक्साइड
स्वांगीकरण
दर से कलित
रंघ्रीय चालकता
का प्रतिशत
विचलन प्रथम, द्वितीय एवं
तृतीय
प्रतिरूप
अनुप्रयोगों
के लिये
क्रमशः +0.19 से -55.56%,
-1.33 से +36.00% , 0.00 से +4.29% रही और
उनके संगत औसत
प्रतिशत
विचलन 13.06,
9.65 एवं 5.88% और माध्य
विचलन वर्ग की
मूल 1.4677, 1.7429
एवं 1.3510 रहा। इसी
प्रकार
उत्स्वेदन से
कलित रंघ्रीय
चलाकता का
प्रतिशत
विचलन परास -0.57 से -38.89%,
0.00 से -18.54%
एवं 0.00 से +19.45% और उनके
संगत परास 13.21, 5.35 एवं 7.99%
रहा जबकि उनका
माध्य विचलन
वर्ग का मूल 2.2123, 1.5386 एवं 2.2547
रहा।
जलाक्रांत
दशा के लिये
कलित पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
का प्रतिशत
विचलन परास
एवं उनके संगत
औसत प्रतिशत
विचलन एवं
माध्य विचलन
वर्ग का मूल
नियन्त्रित
प्रायोगिक
प्रेक्षणों
के कलित
अनुक्रियाओं
से अधिक रहा। जलाक्रान्त
दशा में कलित
पादप कर्यिकी
अनुक्रियाओं
का औसत विचलन
का परास 5.35
से 13.21% रहा जो कि
स्वीकार्य
योग्य है। उपरोक्त
प्रयोगिक
प्रेक्षणों
एवं तुलनात्मक
तथ्यों से
प्रस्तावित
प्रतिरूप की
सार्थकता
प्रमाणित
होती है। इस
प्रतिरूप का
प्रयोग
सफलतापूर्वक
पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के पूर्वकथन
के लिये किया जा
सकता है। 5.
निष्कर्ष
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
का सीधा संबंध
पौधों की
उत्पादकता से
होता है। पादप
कार्यिकी
अनुक्रियायें
मृदाए जलए
स्थानीय
वातावरण एवं
उनके पोषण तत्वों
की आपूर्ति से
नियन्त्रित
होती है। पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के अधिकतम
स्तर पर बनाये
रखने पर ही
अधिकतम
उत्पादन लेना
सुनिश्चित
किया जा
सकेगा। किसी
भी प्रजाति की
अधिकतम पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
केा बनाये
रखने के लिये
उनकी
अनुक्रियाओं
का मापन आवश्यक
हो जाता है। सतत्
एवं सघन मापन
श्रमसाध्य, समयोपभोगी
एवं व्ययशील
है।
गणितीय प्रतिदर्श
के माध्यम से
इस कमी को
सहजता से पूरा
किया जा सकता
है।
पादप
कार्यिकी
अनुक्रियाओं
की
परिवर्तनीयता
एक ही शाखा पर
अवस्थित पर्ण
स्थित के
सापेक्ष एक
निश्चित
प्रवृत्ति रखती
है। यदि
किसी क्षेत्र
को अधिकतम
पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
तक पहुँचाना
हो तो पौधों के
समस्त पर्णों
की अधिकतम
अनुक्रिया
सुनिश्चित
करना
अनिवार्य
होगा। पुनः
समस्त पादपों
के समस्त
पर्णों की
पादप
अनुक्रियाओं
को आंकलित
करने के
गणितीय सूत्र
की आवश्यकता
पड़ती है। जट्रोफा
बायोडीजल
प्रदान करने
वाला एक
बहुचर्चित पौधा
है।
अनुपयोगी
भूमियों में
इसके उत्पादन
की संस्तुति
की जाती हैं। जलाक्रांत
एवं लवण
प्रभावित
भूमियों में
भी इसके उत्पादन
के प्रयास
हुये है।
वर्तमान शोध
पत्र में जट्रोफा
की शाखा पर
अवस्थित
पर्णों के
पादप कार्यिकी
अनुक्रियाओं
के पूर्वकथन
के लिये एक
गणितीय
प्रतिदर्श का
विकास किया
गया है।
गणितीय
प्रतिदर्श से
आंकलित
अनुक्रियाओं
का औसत
प्रतिशत
विचलन 1.69 से 13.21% के बीच
रहा। जलाक्रांत
दशा में
गणितीय
प्रतिदर्श का
औसत विचलन
नियन्त्रित
प्रयोग की
तुलना में
अधिक पाया गया। इस
गणितीय
प्रतिदर्श का
उपयोग अन्यान्य
पौधों के पादप
कार्यिकी की
अनुक्रियाओं
के पूर्वकथन
में सहजता से
किया जा सकता
है। lkj.kh 1: lkekU¸k n'kk ds fy, mRLosnu,oa ja?kzh; pkydRkk ls
izdk'k la'ys"k.k dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, PRN= N osa vuqiz;ksx dh izdk'k la'ys"k.kh¸k vuqfØ;k, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(PN-E) = izdk'k
la'kys"k.k&mRLosnu nj fLFkjkad,
λ(PN-gs)= izdk'k la'kys"k.k& ja?kzh; pkydrk fLFkjkad, PN-E-RN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s mRLosnu Lks dfyRk izdk'k la'kys"k.k, PN-gs-RN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s ja?kzh; pkydrk Lks dfyRk izdk'k la'kys"k.k lkj.kh 2: lkekU¸k n'kk ds fy, izdk'k la'ys"k.k ,oa ja?kzh; pkydRkk
ls mRLosnu dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, ERN= N
osa vuqiz;ksx dk mRLosnu nj, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(EµPN) = mRLosnuµ'kq) dkcZu MkbZvkDlkbM
Lokaxhdj.k fLFkjkad, λ(gsµE)= mRLosnuµja?kzh; pkydrk fLFkjkad, EPNµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s izdk'k la'kys"k.k Lks dfyRk
mRLosnu nj, EgsµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s ja?kzh; pkydrk Lks mRLosnu nj lkj.kh 3: lkekU¸k n'kk ds fy, izdk'k la'ys"k.k ,oa mRLosnu ls
ja?kzh; pkydRkk dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, gs RN= N osa vuqiz;ksx dh ja?kzh;
pkydrk, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(gsµPN) = ja?kzh; pkydrkµ'kq) dkcZu MkbZvkDlkbM
Lokaxhdj.k fLFkjkad, λ(gsµE)= ja?kzh; pkydrk mRLosnu
fLFkjkad, gsPNµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
izdk'k la'kys"k.k Lks dfyRk ja?kzh; pkydrk, gg EµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
mRLosnu nj Lks dfyRk ja?kzh; pkydrk lkj.kh 4: tykØkUr n'kk ds fy, mRLosnu ,oa ja?kzh; pkydRkk ls izdk'k
la'ys"k.k dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, PRN= N osa vuqiz;ksx dh izdk'k la'ys"k.kh¸k vuqfØ;k, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(PN-E) = izdk'k la'kys"k.k&mRLosnu
nj fLFkjkad, λ(PN-gs)= izdk'k
la'kys"k.k& ja?kzh; pkydrk fLFkjkad,
PN-E-RN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
mRLosnu Lks dfyRk izdk'k la'kys"k.k,
PN-gs-RN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
ja?kzh; pkydrk Lks dfyRk izdk'k la'kys"k.k lkj.kh 5: tykØkUr n'kk ds fy, izdk'k la'ys"k.k ,oa ja?kzh; pkydRkk
ls mRLosnu dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, ERN= N
osa vuqiz;ksx dk mRLosnu nj, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(EµPN) = mRLosnuµ'kq) dkcZu MkbZvkDlkbM
Lokaxhdj.k fLFkjkad, λ(gsµE)= mRLosnuµja?kzh; pkydrk fLFkjkad, EPNµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s izdk'k la'kys"k.k Lks dfyRk
mRLosnu nj, EgsµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s ja?kzh; pkydrk Lks mRLosnu nj lkj.kh 6: tykØkUr n'kk ds fy, izdk'k la'ys"k.k ,oa mRLosnu ls
ja?kzh; pkydRkk dh x.kukA
LP = i.kZ fLFkr, gs RN= N osa vuqiz;ksx dh ja?kzh;
pkydrk, PvkSlr = vuqiz;ksxksa dk vkSlr
izdk'k la'ys"k.k, EvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr mRLosnu, gsvkSlr= vuqiz;ksxksa dk vkSlr ja?kzh; pkydrk, λ(gsµPN) = ja?kzh; pkydrkµ'kq) dkcZu MkbZvkDlkbM
Lokaxhdj.k fLFkjkad, λ(gsµE)= ja?kzh; pkydrk mRLosnu
fLFkjkad, gsPNµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
izdk'k la'kys"k.k Lks dfyRk ja?kzh; pkydrk, gg EµRN= N osa vuqiz;ksx ds fy;s
mRLosnu nj Lks dfyRk ja?kzh; pkydrk lkj.kh 7: lkekU¸k n'kk ds fy, dfyRk izdk'k la'ys"k.k dk izsf{kRk
eku ls fopyu A
lkj.kh 8: lkekU¸k n'kk ds fy, dfyRk
mRLosnu dk izsf{kRk eku ls fopyu A
lkj.kh 9: lkekU¸k n'kk ds fy, dfyRk ja?kzh; pkydRkk dk izsf{kRk eku ls
fopyu A
lkj.kh 10: tykØkUr n'kk ds fy, dfyRk izdk'k la'ys"k.k dk izsf{kRk
eku ls fopyu A
lkj.kh 11: tykØkUr n'kk ds fy, dfyRk mRLosnu dk izsf{kRk eku ls fopyu A
lkj.kh 12: tykØkUr n'kk ds fy, dfyRk ja?kzh; pkydRkk dk izsf{kRk eku ls
fopyu A
fPk= 1+: izsf{kRk ,oa dfyRk izdk'k
la'ys"k.k dh rqyuk
fPk= 2: izsf{kRk ,oa dfyRk
mRLosnu dh rqyuk
fPk= 3: izsf{kRk ,oa dfyRk jU/kzh; pkydrk dh rqyuk SOURCES OF FUNDINGNone. CONFLICT OF INTERESTNone. ACKNOWLEDGMENTNone. REFERENCES
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