"INNOVATIONS IN KATHAK DANCE AND DR. SUCHITRA HARMAKER "
‘‘कथक नृत्य में नवाचार और डाॅ. सुचित्रा हरमळकर’’
DOI:
https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i1SE.2015.3458Keywords:
जल, हवा, प्रकृतिAbstract [English]
That is, nature does not carry antiquity even for a second. Always newness is pleasurable, so nature takes new forms at the time of transformation. That is why nature is delightful. Nature has soil, water, air, fire which is in contact with us and space which is visible. Apart from these main elements, there are parts of nature - all, water, land, man-made creatures, forests. There are trees, plants, vines in the forest. All these organs of nature are full of diversity. But water cools, fertility in the soil, wind gives life, trees shade, wood, fruits, flowers give medicines, soils are handled; These basic properties are modifiable in all types of trees and in water also, but the process of transformation continues in a continuous, direct and indirect nature. The basic properties of natural products are the latest one, as it is the tradition and innovation of nature.
अर्थात् प्रकृति पुरातन का वहन पल भर के लिए भी नहीं करती है। नित्य नवीनता आनंददायी होती है अतः प्रकृति परिवर्तन की टेक पर, नित्य नवीन रूप धारण करती है। इसीलिए प्रकृति रमणीय है। प्रकृति में मिट्टी, जल, हवा, अग्नि है जो हमारे संपर्क में है और अंतरिक्ष जो दृश्यमान है। इन मुख्य तत्वों के अतिरिक्त प्रकृति के अंग हैं- समस्त, जल, थल, नभचर-जीव, जंगल। जंगल में वृक्ष, पौधे, लताएँ हैं। प्रकृति के ये सभी अंग वैविध्य से भरपूर है। पर जल तृषा शान्त करता है, मिट्टी में उर्वरता होती है, हवा प्राण देती है, वृक्ष छाया, लकड़ी, फल, फूल औषधि देते हैं, मिट्टी संभालते हैं; ये मूलभूत गुण सभी प्रकार के वृक्षों में न्यूनाधिक होते है और जल मेें भी किन्तु परिवर्तन की प्रक्रिया सतत् प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रकृति में चलती रहती है। प्राकृतिक उपादनों के मूलभूत गुण अद्यतन एक हैं यह मानों परंपरा है और नित्य परिवर्तन प्रकृति का नवाचार।
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References
कामायनी - जयशंकर प्रसाद श्रद्धासर्ग पद 94
स्पंदन साक्षात्कार - डाॅ. सुचित्रा हरमळकर पृ. 86
डाॅ. सुचित्रा से बातचीत का अंश
सहायक ग्रंथ: कथक शिक्षण-डाॅ. पुरू दाधीच
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