FOREIGN
DIRECT INVESTMENT IN INDIAN AGRICULTURE: OPPORTUNITIES, CHALLENGES AND IMPACT
ON RURAL ECONOMY IMPACT OF THE EMERGENCE OF ARTIFICIAL INTELLIGENCE (AI) ON THE
INDIAN ECONOMY
भारतीय कृषि
में प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश:
अवसर, चुनौतियाँ
और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
पर प्रभाव, कृत्रिम
बुद्धिमत्ता (AI) के प्रादुर्भाव
का भारतीय अर्थव्यवस्था
पर पड़ने वाले
प्रभाव
Dr. Durga Charan Singh 1
1 Assistant Professor, Department of
Commerce, Har Pratap Singh Yadav, PG College Handia Prayagraj, Prof Rajendra
Singh (Raju Bhaiya) University, Prayagraj, India
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ABSTRACT |
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English: This study examines the impact of Artificial Intelligence (AI) on the Indian economy, focusing on its sectoral use, macroeconomic implications, and policy dimensions. Using secondary data from government reports, international organizations, and peer-reviewed research literature, this research analyzes how AI is transforming agriculture, manufacturing, services, and governance. Findings indicate that the appropriate use of AI could increase India's GDP by approximately US$600 billion by 2035 by enhancing productivity, enabling financial inclusion, and fostering innovation. However, several challenges remain, including labor market disruption, skills shortages, digital inequalities, and ethical questions related to data governance. The study highlights the duality of AI's trajectory in India. It can be a driver of growth, while also a potential source of exclusion. Policy recommendations emphasize reskilling programs, open data frameworks, regulatory oversight, and strengthening rural digital infrastructure. Ultimately, the research concludes that if guided by inclusive and ethical policies, AI can be a catalyst for inclusive and sustainable development in India. Hindi: यह अध्ययन भारतीय अर्थव्यवस्था पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) के प्रभाव की जाँच करता है, जिसमें इसके क्षेत्रवार उपयोग, व्यापक आर्थिक निहितार्थ तथा नीतिगत आयामों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकारी प्रतिवेदनों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा समीक्षित शोध-साहित्य से प्राप्त द्वितीयक आँकड़ों का उपयोग करते हुए यह शोध इस बात का विश्लेषण करता है कि किस प्रकार AI कृषि, विनिर्माण, सेवाओं तथा शासन व्यवस्था को रूपांतरित कर रहा है। निष्कर्षों से यह संकेत मिलता है कि उत्पादकता बढ़ाने, वित्तीय समावेशन को सक्षम बनाने तथा नवाचार को प्रोत्साहन देने के माध्यम से AI का समुचित उपयोग भारत की GDP में वर्ष 2035 तक लगभग 600 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि कर सकता है। तथापि, अनेक चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिनमें श्रम-बाज़ार में अव्यवस्था, कौशल की कमी, डिजिटल असमानताएँ तथा डेटा शासनीयता से संबंधित नैतिक प्रश्न प्रमुख हैं। अध्ययन इस तथ्य को रेखांकित करता है कि भारत में AI की दिशा द्विमुखी है यह एक ओर विकास का प्रेरक तत्व है, वहीं दूसरी ओर बहिष्करण का संभावित स्रोत भी हो सकता है। नीतिगत सिफ़ारिशों में पुनः कौशल-विकास कार्यक्रम, मुक्त डेटा ढाँचे, नियामकीय निगरानी तथा ग्रामीण डिजिटल आधारभूत ढाँचे के सुदृढ़ीकरण पर बल दिया गया है। अंततः शोध यह निष्कर्ष निकालता है कि यदि समावेशी एवं नैतिक नीतियों द्वारा मार्गदर्शन किया जाए, तो AI भारत में समावेशी और सतत विकास का उत्प्रेरक बन सकता है। |
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Received 07 August 2025 Accepted 08 September 2025 Published 31 October 2025 DOI 10.29121/granthaalayah.v13.i10.2025.6479 Funding: This research
received no specific grant from any funding agency in the public, commercial,
or not-for-profit sectors. Copyright: © 2025 The
Author(s). This work is licensed under a Creative Commons
Attribution 4.0 International License. With the
license CC-BY, authors retain the copyright, allowing anyone to download,
reuse, re-print, modify, distribute, and/or copy their contribution. The work
must be properly attributed to its author.
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Keywords: Artificial
Intelligence, Indian Economy, Regional Transformation, Inclusive Growth, कृत्रिम
बुद्धिमत्ता,
भारतीय अर्थव्यवस्था,
क्षेत्रीय रूपांतरण,
समावेशी विकास |
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1. प्रस्तावना
कृत्रिम
बुद्धिमत्ता (AI)
21वीं शताब्दी की
सबसे रूपांतरकारी
प्रौद्योगिकियों
में से एक के रूप
में उभरी है, जिसने
विश्वभर में उद्योगों,
अर्थव्यवस्थाओं
और समाजों की संरचना
को पुनर्परिभाषित
किया है Ahmad
(2024)। इसका
विकास क्रम 20वीं
शताब्दी के मध्य
से देखा जा सकता
है, जब ऐलन ट्यूरिंग
जैसे प्रारंभिक
विचारकों ने "सोचने
वाली मशीन" की अवधारणा
प्रस्तुत की Bhushan
et al. (2022)। 1970 के दशक
के एक्सपर्ट सिस्टम
से लेकर 1990 के दशक
के मशीन लर्निंग
एल्गोरिद्म तक,
और आज के डीप लर्निंग,
नेचुरल लैंग्वेज
प्रोसेसिंग तथा
जेनरेटिव मॉडल्स
तक, AI ने सिद्धांतात्मक
प्रयोग से व्यावहारिक
अनुप्रयोग की ओर
क्रमशः प्रगति
की है Haider
et al. (2025)। वैश्विक
स्तर पर देशों
ने नवाचार और उत्पादकता
में प्रतिस्पर्धात्मक
बढ़त प्राप्त करने
हेतु AI को अपनाया
है। संयुक्त राज्य
अमेरिका में, AI विकास
को सशक्त शोध पारितंत्र
और निजी क्षेत्र
के निवेश ने आगे
बढ़ाया, विशेषकर
सिलिकॉन वैली में
Mudraganam
(2024)। चीन ने
राज्य-प्रायोजित
पहलों, विशाल डेटा
उपलब्धता और 2030 तक
वैश्विक AI नेतृत्व
हासिल करने की
महत्वाकांक्षा
के माध्यम से स्वयं
को एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी
के रूप में स्थापित
किया है Panigrahi
et al. (2024)। वहीं,
यूरोपीय संघ ने
नैतिक ढाँचों और
नियामकीय नेतृत्व
पर बल देते हुए
तकनीकी विकास को
डेटा गोपनीयता
और मानवाधिकार
संरक्षण के साथ
संतुलित करने का
प्रयास किया है
Ramana
(2025)। इस प्रकार
AI विकास की अंतर्राष्ट्रीय
दिशा भारत को एक
जटिल वैश्विक परिदृश्य
में रखती है, जहाँ
प्रतिस्पर्धा
बनाए रखने हेतु
रणनीतिक अंगीकरण
अत्यंत आवश्यक
है Saxena
et al. (2022)।
भारत
में AI का विकास डिजिटल
परिवर्तन की व्यापक
यात्रा से जुड़ा
हुआ है। वर्ष 2015 में
आरंभ हुए डिजिटल
इंडिया कार्यक्रम
ने डिजिटल अवसंरचना
को सुदृढ़ करने,
इंटरनेट पैठ को
बढ़ाने और ई-गवर्नेंस
को सक्षम बनाने
के माध्यम से आधारशिला
रखी Singh
and Kasliwal (2025)। इसके
आधार पर नीति आयोग
ने 2018 में "नेशनल
स्ट्रैटेजी फॉर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस"
प्रस्तुत की, जिसमें
पाँच प्रमुख क्षेत्रों
कृषि, स्वास्थ्य,
शिक्षा, स्मार्ट
शहर तथा परिवहन
को AI-प्रेरित रूपांतरण
हेतु चुना गया
Kumar
(2025)। "AI for All" की
दृष्टि समावेशी
विकास पर बल देती
है, जो भारत की सामाजिक-आर्थिक
विविधता को प्रतिबिंबित
करती है Sumi et al. (2025)। भारतीय
उद्यम, विशेषकर
फिनटेक, ई-कॉमर्स
और सूचना प्रौद्योगिकी
सेवाओं में, संचालन
को अनुकूलित करने
और उपभोक्ता अनुभव
को सुदृढ़ बनाने
के लिए तीव्र गति
से AI को अपनाने लगे
हैं Kothiwal
and Uppal (2024)। सरकारी
पहलों और वैश्विक
सहयोग से समर्थित
AI स्टार्टअप और
नवाचार केंद्रों
का उभरता हुआ पारितंत्र
भारत को AI अंगीकरण
में एक तीव्र-विकसित
खिलाड़ी के रूप
में स्थापित कर
रहा है Sapra et
al. (2025)। तथापि,
कौशल की कमी, बिखरे
हुए डेटा तंत्र
और नैतिक प्रश्न
जैसी चुनौतियाँ
अब भी रणनीतिक
हस्तक्षेप की अपेक्षा
करती हैं Soumya
and Kanujia (2024)।
वैश्विक
AI प्रतिस्पर्धा
में भारत की स्थिति
निर्धारित करने
के लिए प्रमुख
अर्थव्यवस्थाओं
के साथ तुलनात्मक
विश्लेषण आवश्यक
है। जहाँ अमेरिका
अत्याधुनिक शोध
और व्यावसायीकरण
में अग्रणी है,
और चीन व्यापक
डेटा-आधारित अनुप्रयोगों
में उत्कृष्टता
प्रदर्शित करता
है Haider
et al. (2025), वहीं भारत
की शक्ति उसके
विशाल प्रतिभा-स्रोत,
सशक्त आईटी उद्योग
और तीव्र डिजिटलीकरण
कर रही अर्थव्यवस्था
में निहित है Panigrahi
et al. (2024)। यूरोपीय
संघ का नियामकीय
दृष्टिकोण भारत
को यह स्मरण कराता
है कि नवाचार और
शासन के बीच संतुलन
अनिवार्य है Saxena
et al. (2022)। यद्यपि
भारत वर्तमान में
शोध प्रकाशनों
और पेटेंट दाखिल
करने के मामले
में अमेरिका और
चीन से पीछे है
Singh
and Kasliwal (2025), तथापि
अपनी जनसांख्यिकीय
बढ़त और उद्यमशील
पारितंत्र का उपयोग
करके इस अंतर को
पाटने की क्षमता
रखता है Kumar
(2025)। यदि इसे
रणनीतिक रूप से
पोषित किया जाए,
तो भारत विकासशील
अर्थव्यवस्थाओं
के लिए किफ़ायती,
समावेशी और विस्तारयोग्य
AI समाधान प्रस्तुत
करने वाला एक महत्त्वपूर्ण
केंद्र बन सकता
है Sapra et
al. (2025)। इससे
न केवल भारत की
वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता
सुदृढ़ होगी, बल्कि
वह ग्लोबल साउथ
के लिए नैतिक और
मानव-केंद्रित
AI गढ़ने में अग्रणी
भूमिका निभा सकेगा
Ramana
(2025)।
भारत
की आर्थिक भावी
दिशा को आकार देने
में AI का महत्त्व
अत्यधिक है। आकलन
है कि AI अंगीकरण
से वर्ष 2035 तक भारत
की GDP में लगभग एक
ट्रिलियन अमेरिकी
डॉलर की वृद्धि
संभव है Ahmad
(2024), जिसमें
विभिन्न क्षेत्रों
का उल्लेखनीय योगदान
होगा Bhushan
et al. (2022)। कृषि
में, AI प्रिसिजन
फार्मिंग और सप्लाई
चेन अनुकूलन द्वारा
उत्पादकता बढ़ा
सकता है Singh et
al. (2025), स्वास्थ्य
क्षेत्र में यह
ग्रामीण जनसंख्या
के लिए सुलभ निदान
उपकरण और टेलीमेडिसिन
समाधान उपलब्ध
कराता है Kumar
(2025)। वित्तीय
क्षेत्र पहले ही
AI-सक्षम धोखाधड़ी
पहचान और व्यक्तिगत
बैंकिंग सेवाओं
से लाभान्वित हो
रहा है Sumi et al. (2025), जबकि शिक्षा
को एडेप्टिव लर्निंग
सिस्टम्स के माध्यम
से रूपांतरित किया
जा सकता है Kothiwal
and Uppal (2024)। व्यापक
आर्थिक स्तर पर,
AI में दक्षता बढ़ाने,
नवाचार को प्रोत्साहित
करने और वैश्विक
प्रतिस्पर्धा
को सुदृढ़ करने
की क्षमता है Mudraganam
(2024)। तथापि,
जब AI पारंपरिक रोजगार
संरचनाओं को बाधित
करता है, तो यह श्रम
विस्थापन और बड़े
पैमाने पर पुनः
कौशल-विकास की
आवश्यकता से जुड़े
प्रश्न खड़े करता
है Sapra et
al. (2025)। नवाचार
को समावेशन के
साथ, विकास को समानता
के साथ और दक्षता
को नैतिकता के
साथ संतुलित करना
इस बात को निर्धारित
करेगा कि भारत
में सतत आर्थिक
विकास के लिए AI किस
हद तक उत्प्रेरक
का कार्य कर सकेगा
Soumya
and Kanujia (2024)।
2. कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित आर्थिक सिद्धांत
कृत्रिम
बुद्धिमत्ता
(AI) के आर्थिक प्रभावों
को अनेक सैद्धांतिक
दृष्टिकोणों से
समझा जा सकता है।
शूम्पीटर का सृजनात्मक
विनाश का सिद्धांत
विशेष रूप से प्रासंगिक
है, क्योंकि AI पुरानी
उत्पादन प्रक्रियाओं
को हटाकर नवीन
प्रौद्योगिकियों
को स्थापित करता
है, जिससे उत्पादकता
में वृद्धि होती
है परंतु पारंपरिक
रोजगार ढाँचों
में व्यवधान उत्पन्न
होता है Mudraganam
(2024)। अंतर्जात
विकास सिद्धांत
यह स्पष्ट करता
है कि दीर्घकालिक
आर्थिक विकास में
प्रौद्योगिकी
और नवाचार की निर्णायक
भूमिका होती है;
AI एक सामान्य प्रयोजन
प्रौद्योगिकी
के रूप में ज्ञान
के प्रसार को तीव्र
करता है और मानव
पूँजी पर प्रतिफल
को बढ़ाता है Panigrahi
et al. (2024)। श्रम-बाज़ार
सिद्धांत में कार्य
विस्थापन और कार्य
सृजन की अवधारणा
बताती है कि AI जहाँ
एक ओर नियमित श्रम
की माँग को घटाता
है, वहीं दूसरी
ओर उच्च कौशल और
नवाचार-आधारित
क्षेत्रों में
नए अवसर उत्पन्न
करता है Singh
and Kasliwal (2025)। इसके
अतिरिक्त, सामान्य
संतुलन सिद्धांत
यह इंगित करता
है कि AI का प्रसार
परस्पर जुड़े बाज़ारों
में वेतन, उत्पादकता
और क्षेत्रीय उत्पादन
पर व्यापक प्रभाव
डालता है Kumar
(2025)। समग्र
रूप से, ये सभी ढाँचे
यह प्रदर्शित करते
हैं कि AI भारतीय
अर्थव्यवस्था
में विकास को गति
देने वाला साधन
भी है और संरचनात्मक
संक्रमणों के सावधानीपूर्वक
प्रबंधन की माँग
करने वाला विघटनकारी
कारक भी Haider
et al. (2025)।
3. साहित्य समीक्षा
Panigrahi
et al. (2024) का अध्ययन
भारतीय अर्थव्यवस्था
पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता
का प्रभाव इस दृष्टि
से महत्त्वपूर्ण
है कि यह समझने
का प्रयास करता
है कि कृत्रिम
बुद्धिमत्ता (AI)
प्रौद्योगिकियाँ
भारत की विकास-यात्रा
में किस प्रकार
योगदान दे रही
हैं। इस शोध का
उद्देश्य विभिन्न
क्षेत्रों में
उत्पादकता, नवाचार
और प्रतिस्पर्धात्मकता
को बढ़ाने में
AI की भूमिका का आकलन
करना था। सरकारी
और औद्योगिक प्रतिवेदनों
से प्राप्त द्वितीयक
आँकड़ों के विश्लेषण
द्वारा इस अध्ययन
ने कृषि, विनिर्माण
और सेवाक्षेत्र
में AI के रूपांतरणकारी
प्रभावों की समीक्षा
की। निष्कर्षों
से यह स्पष्ट हुआ
कि AI का प्रयोग भारत
की सकल घरेलू उत्पाद
(GDP)
में उल्लेखनीय
वृद्धि कर सकता
है और साथ ही रोजगार
के स्वरूपों का
पुनर्गठन भी संभव
बना सकता है। निष्कर्ष
भाग में ऐसी समग्र
नीतियों की आवश्यकता
पर बल दिया गया
जो तकनीकी प्रगति
और समावेशी विकास
के बीच संतुलन
स्थापित कर सकें।
Singh
and Kasliwal (2025) ने अपने
लेख भारतीय बैंकिंग
क्षेत्र के संदर्भ
में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
द्वारा ग्राहकों
के संबंधों का
सामरिक रूपांतरण
में वित्तीय क्षेत्र
के ग्राहक–संबंध
प्रबंधन में AI के
समावेशन का विश्लेषण
किया। इस अध्ययन
का उद्देश्य यह
था कि चैटबॉट्स,
पूर्वानुमान विश्लेषण
और वैयक्तिकृत
बैंकिंग सेवाओं
जैसे AI-आधारित उपकरण
किस प्रकार ग्राहक–संलग्नता
को नया स्वरूप
दे रहे हैं। प्रकरण–अध्ययन
पद्धति और औद्योगिक
सर्वेक्षणों के
प्रयोग से यह निष्कर्ष
निकला कि बैंकिंग
क्षेत्र में AI अपनाने
से परिचालन दक्षता,
ग्राहक संतुष्टि
और जोखिम प्रबंधन
में सुधार हुआ
है। परंतु अध्ययन
ने साइबर सुरक्षा
और डेटा–नैतिकता
से सम्बद्ध चुनौतियों
के प्रति सावधान
किया। निष्कर्ष
में यह प्रतिपादित
किया गया कि AI-समर्थित
बैंकिंग प्रणाली
में विश्वास और
पारदर्शिता सुनिश्चित
करने के लिए सुदृढ़
नियामकीय ढाँचा
अनिवार्य है।
Ahmad
(2024) ने अपने
अध्ययन कृत्रिम
बुद्धिमत्ता के
माध्यम से भारत
में रोज़गार–क्षमता
का रूपांतरण में
AI अपनाने और कार्यबल
की रोजगार–क्षमता
(Employability)
के बीच सम्बन्ध
की पड़ताल की।
उद्देश्य यह था
कि रोजगार–सृजन,
कार्य–विस्थापन
तथा नए कौशलों
की माँग में AI की
भूमिका का परीक्षण
किया जाए। श्रम–बाज़ार
आँकड़ों और कौशल
सर्वेक्षणों के
अनुभवजन्य विश्लेषण
से यह निष्कर्ष
प्राप्त हुआ कि
नियमित कार्यों
की माँग घटेगी,
जबकि तकनीकी और
नवाचार–आधारित
भूमिकाओं में नए
अवसर विकसित होंगे।
निष्कर्ष में पुनःकौशल
(Reskilling)
और उन्नत–कौशल
(Upskilling)
पहलों की आवश्यकता
पर बल दिया गया
तथा यह अनुशंसा
की गई कि शिक्षा
और व्यावसायिक
प्रशिक्षण को भविष्य
के श्रम–बाज़ार
की आवश्यकताओं
के अनुरूप ढाला
जाए।
Ramana
(2025) ने अपने
अध्ययन भारतीय
अर्थव्यवस्था
पर डिजिटलाइजेशन
का प्रभाव: एक विश्लेषण
में AI सहित डिजिटल
प्रौद्योगिकियों
की भारत के आर्थिक
रूपांतरण में भूमिका
का परीक्षण किया।
अध्ययन का उद्देश्य
यह था कि डिजिटलाइजेशन
के संयुक्त प्रभाव
का GDP वृद्धि, वित्तीय
समावेशन तथा उद्यमिता
पर आकलन किया जाए।
द्वितीयक आँकड़ों
पर आधारित अर्थमितीय
मॉडलिंग (Econometric Modelling) से यह दर्शाया
गया कि डिजिटल
तथा AI–आधारित हस्तक्षेपों
ने उत्पादकता,
सेवाओं की उपलब्धता
तथा शासन की दक्षता
में उल्लेखनीय
योगदान किया। निष्कर्ष
में क्षेत्रीय
असमानताओं की ओर
संकेत किया गया
और डिजिटल विभाजन
(Digital Divide)
को पाटने की आवश्यकता
पर बल दिया गया।
Haider
et al. (2025) ने ऊर्जा
अनुसंधान और जलवायु
परिवर्तन में कृत्रिम
बुद्धिमत्ता शीर्षक
अध्ययन में भारत
के ऊर्जा क्षेत्र
में स्थिरता को
प्रोत्साहित करने
में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
(AI) की भूमिका का मूल्यांकन
किया। अध्ययन का
उद्देश्य नवीकरणीय
ऊर्जा के पूर्वानुमान,
स्मार्ट ग्रिडों
तथा जलवायु परिवर्तन
शमन में AI के उपयोग
का परीक्षण करना
था। अनुसंधान पद्धति
ऊर्जा-सम्बन्धी
प्रकरण अध्ययनों
और सिमुलेशन मॉडलों
की समीक्षा पर
आधारित थी। निष्कर्षों
से यह स्पष्ट हुआ
कि AI ऊर्जा दक्षता
को बढ़ाने और कार्बन
उत्सर्जन को घटाने
में सक्षम है।
समापन में यह रेखांकित
किया गया कि भारत
की हरित विकास
रणनीति में AI एक
उत्प्रेरक की भाँति
कार्य कर सकता
है, यद्यपि इसकी
प्रारम्भिक लागत
अत्यधिक है।
Sumi et al. (2025) ने भारतीय
बैंकिंग क्षेत्र
में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
के विकास की नवीन
प्रवृत्तियाँ
शीर्षक अध्याय
में बैंकिंग क्षेत्र
में AI अंगीकरण की
उभरती प्रवृत्तियों
का विश्लेषण किया।
उद्देश्य यह था
कि किस प्रकार
AI वित्तीय लेन-देन
में नवाचार, दक्षता
और सुरक्षा को
प्रभावित करता
है। प्रमुख बैंकों
से प्राप्त सर्वेक्षण-आधारित
साक्ष्यों के आधार
पर यह निष्कर्ष
निकला कि धोखाधड़ी
पहचान, ग्राहक
सहयोग तथा परिचालन
लागत में उल्लेखनीय
सुधार हुआ है।
समापन में यह प्रतिपादित
किया गया कि वित्तीय
सेवाओं में बढ़ती
ग्राहक अपेक्षाओं
को पूरा करने हेतु
सुदृढ़ AI अधोसंरचना
का विकास अनिवार्य
है।
4. अध्यान का महत्त्व
यह
वर्तमान अध्यान
विशेष महत्त्व
का है क्योंकि
यह भारतीय अर्थव्यवस्था
की रूपरेखा को
पुनर्गठित करने
में कृत्रिम बुद्धिमत्ता
(AI) की रूपांतरणकारी
भूमिका का समालोचनात्मक
परीक्षण करता है।
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था
तीव्र गति से डिजिटल
प्रौद्योगिकियों
पर निर्भर होती
जा रही है, तब AI एक
सामान्य प्रयोजन
प्रौद्योगिकी
के रूप में उभर
कर सामने आती है,
जो उत्पादकता को
बढ़ाने, नवाचार
को प्रोत्साहित
करने तथा विविध
क्षेत्रों में
प्रतिस्पर्धात्मकता
को सशक्त बनाने
में समर्थ है।
भारत के संदर्भ
में, जहाँ कृषि
आजीविका का आधार
है, सेवा-क्षेत्र
वृद्धि का चालक
है और विनिर्माण
वैश्विक प्रासंगिकता
की ओर अग्रसर है,
AI का अंगीकरण अत्यंत
रणनीतिक महत्त्व
रखता है। यह अध्यान
इसलिए भी आवश्यक
है क्योंकि यह
AI की उस क्षमता की
जाँच करता है जो
GDP वृद्धि
को तीव्र कर सकती
है, वित्तीय समावेशन
को प्रोत्साहन
दे सकती है और शासन
की दक्षता को अनुकूलित
कर सकती है। साथ
ही यह अध्यान रोजगार-विस्थापन,
डिजिटल विभाजन
और नैतिक चुनौतियों
जैसी संरचनात्मक
बाधाओं का भी आकलन
करता है।
5. अध्यान के उद्देश्य
1) भारत की
वृद्धि एवं उत्पादकता
पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता
(AI)
के व्यापक आर्थिक
प्रभाव का विश्लेषण
करना।
2) कृषि, विनिर्माण,
सेवाएँ तथा शासन
क्षेत्रों में
AI को अपनाए जाने
के क्षेत्रीय प्रभावों
का परीक्षण करना।
3) भारतीय
अर्थव्यवस्था
में AI के एकीकरण
से जुड़ी चुनौतियों
तथा नीतिगत आयामों
का मूल्यांकन करना।
6. कार्यप्रणाली
यह
अध्यान पूर्णतः
द्वितीयक आँकड़ों
पर आधारित है, जिन्हें
विभिन्न प्रामाणिक
स्रोतों से संकलित
किया गया है। इन
स्रोतों में सरकारी
प्रतिवेदन, अंतर्राष्ट्रीय
डाटाबेस, संस्थागत
प्रकाशन तथा समीक्षित
शैक्षणिक साहित्य
सम्मिलित हैं।
नीति आयोग, विश्व
बैंक, अंतर्राष्ट्रीय
मुद्रा कोष (IMF)
तथा उद्योग संगठनों
द्वारा उपलब्ध
कराए गए आँकड़ों
का व्यवस्थित रूप
से अध्ययन किया
गया, ताकि AI के व्यापक
आर्थिक योगदान
एवं क्षेत्रीय
प्रभावों का आकलन
किया जा सके। प्रयुक्त
कार्यप्रणाली
गुणात्मक विश्लेषणात्मक
रूपरेखा पर आधारित
है, जिसे वर्णनात्मक
सांख्यिकी, नीतिगत
मूल्यांकन एवं
तुलनात्मक अंतर्दृष्टियों
से समर्थित किया
गया। स्कोपस एवं
ABDC सूचीबद्ध
पत्रिकाओं के शोध
लेखों का अवलोकन
कर वैश्विक तथा
भारत-विशिष्ट दृष्टिकोण
को समझा गया। कृषि,
वित्त, विनिर्माण
तथा शासन से संबंधित
तुलनात्मक अध्ययन
मामलों का विश्लेषण
कर अपनाए गए तरीकों
एवं परिणामों की
विविधता को अभिलक्षित
किया गया।
तालिका 1
|
तालिका 1
क्षेत्रीय प्रभाव
और प्रमुख संकेतकों
का तुलनात्मक
विश्लेषण |
||
|
क्षेत्र |
कृत्रिम
बुद्धिमत्ता
के प्रमुख
अनुप्रयोग |
सांकेतिक
संकेतक /
प्रक्षेपण |
|
कृषि |
सटीक
कृषि,
उत्पादन
पूर्वानुमान,
कीट प्रबंधन |
एआई-कृषि
बाज़ार ~ 70
मिलियन
अमरीकी डॉलर
(2024); 350 मिलियन
अमरीकी डॉलर
तक अनुमानित
(2033) – IMARC समूह |
|
विनिर्माण
/ उद्योग |
यांत्रिक
रख-रखाव का
पूर्वानुमान,
दोष पहचान, प्रक्रिया
अनुकूलन |
प्रारम्भिक
पायलट
परियोजनाएँ
औद्योगिक क्लस्टरों
में (आँकड़े
सार्वजनिक
रूप से संकलित
नहीं) |
|
वित्तीय
और सेवा
क्षेत्र |
ऋण-जोखिम
स्कोरिंग,
धोखाधड़ी की
पहचान, चैटबॉट्स |
बैंकिंग
में
एआई-संचालित
स्वचालन का
बढ़ता उपयोग |
|
शासन /
सार्वजनिक
क्षेत्र |
स्मार्ट
सिटी,
यातायात
प्रबंधन,
ई-शासन, नागरिक
सेवाएँ |
राष्ट्रीय
एआई
प्लेटफॉर्म
(जैसे IndiaAI)
समन्वय केंद्र
के रूप में –
विकिपीडिया |
विश्लेषण:
यह
तालिका विभिन्न
क्षेत्रों में
एआई के प्रभाव
और उसके प्रमुख
अनुप्रयोगों का
तुलनात्मक विश्लेषण
प्रस्तुत करती
है। कृषि क्षेत्र
में एआई का प्रभाव
अधिक स्पष्ट रूप
से देखा जा रहा
है, क्योंकि यह
क्षेत्र भारतीय
अर्थव्यवस्था
में महत्वपूर्ण
योगदान करता है।
AI के द्वारा किए
गए सुधार कृषि
उत्पादकता में
वृद्धि, सिंचाई
की दक्षता, और कीट
प्रबंधन में क्रांतिकारी
परिवर्तन ला रहे
हैं। विनिर्माण
और उद्योगों में,
हालांकि एआई का
उपयोग प्रारंभिक
चरण में है, फिर
भी पायलट परियोजनाओं
के माध्यम से यह
क्षेत्रों में
परिवर्तन की संभावना
दिखाता है। वित्तीय
सेवाओं और शासन
में, AI का उपयोग बढ़
रहा है और विभिन्न
समस्याओं के समाधान
में सहायता कर
रहा है, जैसे वित्तीय
समावेशन और नागरिक
सेवाओं की दक्षता
में वृद्धि।
तालिका 2
|
तालिका
2
AI
के क्षेत्रीय
प्रभाव से संबंधित
मुख्य लाभ और चुनौतियाँ |
||
|
क्षेत्र |
मुख्य
लाभ |
मुख्य चुनौतियाँ |
|
कृषि |
उत्पादकता
में वृद्धि,
जल-उपयोग में
कमी, बेहतर
कीट प्रबंधन |
अवसंरचना
की कमी,
किसानों की
तकनीकी
साक्षरता की
कमी |
|
विनिर्माण
/ उद्योग |
गुणवत्ता
निरीक्षण
में सुधार,
लागत में कमी,
उत्पादन
क्षमता में
वृद्धि |
छोटे
उद्योगों के
लिए लागत और
तकनीकी अवसंरचना
की कमी |
|
वित्तीय
और सेवा
क्षेत्र |
व्यक्तिगत
वित्तीय
सेवाएँ,
धोखाधड़ी का
पता लगाना,
निर्णय-निर्माण
में तेजी |
डेटा
गोपनीयता और
सुरक्षा,
पुरानी
प्रणालियाँ
और तकनीकी
शिक्षा की
कमी |
|
शासन /
सार्वजनिक
क्षेत्र |
स्मार्ट
सिटी और
सार्वजनिक
सेवा में
सुधार, दक्षता
में वृद्धि |
संस्थागत
जड़ता, डेटा
गोपनीयता और
वितरण में असमानता |
विश्लेषण:
इस
तालिका में विभिन्न
क्षेत्रों में
AI के लाभों और चुनौतियों
का विश्लेषण किया
गया है। कृषि क्षेत्र
में, AI किसानों को
अधिक सटीक और किफायती
तरीके से कृषि
कार्य करने में
मदद कर रहा है, लेकिन
तकनीकी साक्षरता
और अवसंरचना की
कमी से किसानों
को लाभ उठाने में
कठिनाई हो रही
है। विनिर्माण
क्षेत्र में, AI उत्पादन
प्रक्रिया में
सुधार कर रहा है,
लेकिन छोटे उद्योगों
को इसके अपनाने
में उच्च लागत
और पुराने उपकरणों
के कारण चुनौतियाँ
उत्पन्न हो रही
हैं। वित्तीय और
सेवा क्षेत्रों
में, AI वित्तीय समावेशन
को बढ़ावा दे रहा
है, लेकिन डेटा
सुरक्षा और गोपनीयता
की चिंता प्रमुख
समस्या बनी हुई
है। शासन क्षेत्र
में, स्मार्ट सिटी
और नागरिक सेवाओं
में सुधार हो रहा
है, फिर भी संस्थागत
जड़ता और असमान
डेटा वितरण की
समस्या बनी हुई
है।
तालिका 3
|
तालिका
3
AI के भारतीय अर्थव्यवस्था
पर प्रभाव से संबंधित
आर्थिक अनुमान |
||
|
क्षेत्र |
संभावित
जीडीपी
वृद्धि (2035 तक) |
संभावित
रोजगार सृजन (2035
तक) |
|
कृषि |
60-70 अरब
अमेरिकी
डॉलर |
20 लाख नए
रोजगार |
|
विनिर्माण
/ उद्योग |
100-120 अरब
अमेरिकी
डॉलर |
15 लाख नए
रोजगार |
|
वित्तीय
और सेवा
क्षेत्र |
120-150 अरब
अमेरिकी
डॉलर |
10 लाख नए
रोजगार |
|
शासन /
सार्वजनिक
क्षेत्र |
80-100 अरब
अमेरिकी
डॉलर |
5 लाख नए
रोजगार |
विश्लेषण:
यह
तालिका विभिन्न
क्षेत्रों में
AI के संभावित आर्थिक
प्रभाव को प्रस्तुत
करती है। कृषि
क्षेत्र में AI के
उपयोग से लगभग
60-70 अरब अमेरिकी डॉलर
की वृद्धि की संभावना
है, जो सीधे तौर
पर ग्रामीण आय
और रोजगार सृजन
को प्रभावित करेगा।
विनिर्माण और उद्योगों
में AI से 100-120 अरब अमेरिकी
डॉलर की वृद्धि
हो सकती है, जो रोजगार
के अवसरों को बढ़ावा
देगा। वित्तीय
सेवाओं में 120-150 अरब
अमेरिकी डॉलर की
वृद्धि की संभावना
है, जो AI द्वारा वित्तीय
समावेशन को बढ़ावा
देने और नए रोजगारों
के सृजन में सहायक
होगा। शासन क्षेत्र
में, 80-100 अरब अमेरिकी
डॉलर तक की वृद्धि
हो सकती है, जिससे
नागरिक सेवाओं
में सुधार और रोजगार
सृजन होगा।
तालिका 4
|
तालिका
4
AI
के लिए नीतिगत
सुधार और पहल |
||
|
क्षेत्र |
नीतिक
सुधार और पहल |
प्रभाव |
|
कृषि |
पुनः
कौशल विकास
कार्यक्रम,
तकनीकी
साक्षरता
में वृद्धि |
किसानों
के लिए AI अपनाने
में सरलता,
उत्पादकता
में वृद्धि |
|
विनिर्माण
/ उद्योग |
सस्ती
और
उच्च-प्रौद्योगिकी
वाली AI
प्रणालियों
का विकास |
छोटे
उद्योगों के
लिए AI का
सुलभता,
गुणवत्ता और
दक्षता में
सुधार |
|
वित्तीय
और सेवा
क्षेत्र |
डेटा
सुरक्षा और
गोपनीयता
कानून, AI
आधारित वित्तीय
नीतियाँ |
वित्तीय
समावेशन को
बढ़ावा,
धोखाधड़ी की
रोकथाम |
|
शासन /
सार्वजनिक
क्षेत्र |
खुले
डेटा ढाँचे
और डिजिटल
आधारभूत
संरचना में
निवेश |
अधिक
पारदर्शिता,
नागरिकों के
लिए बेहतर
सेवा,
भ्रष्टाचार
में कमी |
विश्लेषण:
इस
तालिका में विभिन्न
क्षेत्रों में
AI के प्रभाव को अधिकतम
करने के लिए आवश्यक
नीतिगत सुधार और
पहल पर चर्चा की
गई है। कृषि में
पुनः कौशल विकास
और तकनीकी साक्षरता
में वृद्धि AI के
अपनाने को बढ़ावा
दे सकती है, वहीं
विनिर्माण क्षेत्र
में छोटे उद्योगों
के लिए सस्ती तकनीकी
प्रणालियाँ लाभकारी
होंगी। वित्तीय
और सेवा क्षेत्र
में डेटा सुरक्षा
और AI-आधारित नीतियाँ
धोखाधड़ी की रोकथाम
और वित्तीय समावेशन
को बढ़ावा दे सकती
हैं। शासन क्षेत्र
में खुले डेटा
ढाँचे और डिजिटल
आधारभूत संरचना
में निवेश से अधिक
पारदर्शिता और
बेहतर सेवाओं की
दिशा में कदम उठाए
जा सकते हैं।
7. चर्चा
समीक्षित
साहित्य निरंतर
यह प्रमाणित करता
है कि कृत्रिम
बुद्धिमत्ता
(AI) का अपनाया जाना
पहले ही भारत की
अर्थव्यवस्था
पर ठोस प्रभाव
डालना प्रारंभ
कर चुका है, यद्यपि
यह प्रभाव विभिन्न
क्षेत्रों में
असमान रूप से परिलक्षित
होता है। Panigrahi
et al. (2024) ने दर्शाया
कि AI भारत की GDP
वृद्धि को ऊँचाई
तक ले जाने की क्षमता
रखता है, परंतु
श्रम-संरचना में
अव्यवस्था की चेतावनी
भी दी। Singh
and Kasliwal (2025) ने बैंकिंग
क्षेत्र में ग्राहक-संबंध
सुदृढ़ करने तथा
धोखाधड़ी की पहचान
हेतु इसकी रणनीतिक
भूमिका पर बल दिया।
Ahmad
(2024) ने रोज़गार
योग्यता में परिवर्तन
का उल्लेख करते
हुए पुनः कौशल
विकास कार्यक्रमों
की अनिवार्यता
बताई, जबकि Saxena
et al. (2022) ने वित्तीय
ऋण प्रबंधन में
कार्यकुशलता की
वृद्धि पर ज़ोर
दिया। ये सभी अध्ययन
सामूहिक रूप से
इंगित करते हैं
कि यद्यपि AI नवाचार
और दक्षता को प्रोत्साहित
करता है, इसके लाभ
शासन-ढाँचे, डिजिटल
अवसंरचना तथा कार्यबल
की अनुकूलनशीलता
पर निर्भर करते
हैं।
इस
अध्ययन के निष्कर्ष
साहित्य को पुष्ट
करते हैं, यह दिखाते
हुए कि कृषि क्षेत्र
में परिशुद्ध खेती,
फिनटेक में सशक्त
ऋण-स्कोरिंग और
शासन में ई-गवर्नेंस
प्रणालियों से
लाभ मिल रहा है;
तथापि डेटा-संग्रहण
की सीमाएँ और कौशल
की कमी अब भी बाधक
बनी हुई हैं। इन
निष्कर्षों का
संगम यह दर्शाता
है कि AI एक ओर उत्पादकता
का संवर्धक है
तो दूसरी ओर यह
एक विघटनकारी शक्ति
भी है, जिसके लिए
सक्रिय नीतिगत
प्रतिक्रियाएँ
आवश्यक हैं। साहित्य
से उभरता प्रमुख
बिंदु यह है कि
AI द्विमुखी स्वरूप
का प्रतिनिधित्व
करता है—एक ओर यह
समावेशी विकास
का अवसर प्रदान
करता है, तो दूसरी
ओर यदि डिजिटल
व संस्थागत अंतराल
दूर न किए गए तो
असमानता को गहरा
भी कर सकता है।
अतः यह चर्चा भारत
में AI की दिशा को
वैश्विक अनुभवों
और घरेलू संरचनात्मक
वास्तविकताओं
के संदर्भ में
स्थापित करती है,
और समावेशी व नैतिक
आधार पर नीति-निर्माण
की अनिवार्यता
को रेखांकित करती
है।
8. निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत के आर्थिक भविष्य का एक निर्णायक निर्धारक बनकर उभरी है, जिसके व्यापक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में देखे जा रहे हैं। अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि AI का समुचित उपयोग वर्ष 2035 तक भारत की GDP में 500–600 अरब अमेरिकी डॉलर तक की वृद्धि कर सकता है, मुख्यतः कृषि में उत्पादकता बढ़ाने, बैंकिंग में वित्तीय समावेशन विस्तारित करने तथा विनिर्माण व सेवाक्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता को सुदृढ़ करने के माध्यम से। किंतु इन लाभों के साथ-साथ संरचनात्मक बेरोज़गारी, कौशल-असंगति, डिजिटल विभाजन तथा डेटा-शासन और एल्गोरिथ्मिक पक्षपात से जुड़ी नैतिक चिंताएँ भी उपस्थित हैं। विश्लेषण यह प्रकट करता है कि भारत की प्रतिभा-पूँजी और स्टार्टअप पारिस्थितिकी AI-आधारित नवाचार के लिए मजबूत आधार प्रदान करती है, परंतु अपनाने की गति और समावेशिता लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों पर निर्भर करेगी। समान परिणाम सुनिश्चित करने हेतु पुनः कौशल विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय डेटा ढाँचे और नियामकीय निगरानी अनिवार्य हैं। निष्कर्ष यह भी प्रतिपादित करता है कि AI को केवल विकास-त्वरक के रूप में नहीं, बल्कि समावेशी प्रगति के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके लिए भारत को तकनीकी उन्नति और सामाजिक समानता, नैतिक सुरक्षा तथा दीर्घकालिक स्थिरता के बीच संतुलन साधना होगा। ऐसा करके भारत स्वयं को केवल वैश्विक AI प्रौद्योगिकियों का उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए किफ़ायती, विस्तार योग्य और समावेशी AI समाधान का अग्रदूत भी स्थापित कर सकता है।
None.
None.
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