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A STUDY OF B.ED. TRAINEES' ATTITUDES TOWARD THE USE OF DIGITAL DEVICES

A STUDY OF B.ED. TRAINEES' ATTITUDES TOWARD THE USE OF DIGITAL DEVICES

बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति अभिवृति का अध्ययन

 

Dr. Pramod Kumar Sharma 1, Shakuntala Kumari 2

 

1 Research Supervisor & Assistant Professor, Shri Agrasen Postgraduate Education College, Keshav Vidyapeeth, Jamdoli, Jaipur, Rajasthan, India

2 Researcher, Rajasthan University, Jaipur, India

 

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ABSTRACT

English: The current study analyzed the attitudes of B.Ed. trainees studying in teacher training colleges toward the use of digital devices. The results revealed no significant difference in attitudes between rural and urban students, as digital technology is equally accessible in both areas. However, the attitudes of rural students were more positive than those of female students, likely due to boys' greater access to technological tools. In contrast, urban female students exhibited a more positive attitude than female students, as they receive ample opportunities to use technological resources alongside their education. The study clearly demonstrates that B.Ed. trainees' attitudes toward digital devices are more positive. Trainees' attitudes are influenced by social, geographical, and gender factors.

 

Hindi: वर्तमान अध्ययन में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति अभिवृति का विश्लेषण किया गया। परिणामों से ज्ञात हुआ कि ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के बीच अभिवृति में कोई सार्थक अंतर नहीं है, क्योंकि डिजिटल तकनीक आज दोनों क्षेत्रों में समान रूप से सुलभ है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की अभिवृति छात्राओं की तुलना में अधिक सकारात्मक पाई गई, जिसका कारण तकनीकी साधनों तक लड़कों की अधिक पहुँच है। इसके विपरीत, शहरी छात्राओं की अभिवृति शहरी छात्रों की तुलना में अधिक सकारात्मक रही, क्योंकि उन्हें शिक्षा के साथ तकनीकी संसाधनों के प्रयोग के पर्याप्त अवसर प्राप्त होते हैं। अध्ययन से स्पष्ट होता है कि डिजिटल उपकरणों के प्रति बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की अभिवृति सामाजिक, भौगोलिक और लैंगिक कारकों से प्रभावित होती है।

 

 Received 23 June 2024

Accepted 21 July 2024

Published 31 August 2024

 10.29121/granthaalayah.v12.i8.2024.6409  

Funding: This research received no specific grant from any funding agency in the public, commercial, or not-for-profit sectors.

Copyright: © 2024 The Author(s). This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.

With the license CC-BY, authors retain the copyright, allowing anyone to download, reuse, re-print, modify, distribute, and/or copy their contribution. The work must be properly attributed to its author.

 

Keywords: Digital Devices, B.Ed. Trainees, Attitudes, Rural and Urban Areas, Gender Differences, Gender Differences, Teacher Education डिजिटल उपकरण, बी.एड. प्रशिक्षणार्थी, अभिवृति, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र, लैंगिक अंतर, तकनीकी सुलभता, शिक्षक शिक्षा


1.   प्रस्तावना

वर्तमान युग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का युग है। शिक्षा के क्षेत्र में भी डिजिटल क्रांति ने गहरा प्रभाव डाला है। आज शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया पारंपरिक पद्धतियों तक सीमित न रहकर डिजिटल माध्यमों पर आधारित हो चुकी है। स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप, प्रोजेक्टर, डिजिटल बोर्ड, ई-क्लास, ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म तथा विभिन्न शैक्षणिक ऐप्स ने शिक्षण की पद्धतियों में व्यापक परिवर्तन किया है।

शिक्षक शिक्षा में डिजिटल उपकरणों का उपयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य के शिक्षक इन्हीं माध्यमों से शिक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं। बी.एड. प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षण की आधुनिक तकनीकों से परिचित कराया जाता है, ताकि वे डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप स्वयं को तैयार कर सकें। परंतु डिजिटल उपकरणों का प्रयोग करने के प्रति उनकी अभिवृति में विविधता पाई जाती है। कुछ प्रशिक्षणार्थी उत्साहपूर्वक इन उपकरणों का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ तकनीकी संसाधनों से दूरी बनाए रखते हैं या उनका उपयोग सीमित रूप से करते हैं।

डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति अभिवृति न केवल प्रशिक्षणार्थियों की तकनीकी दक्षता पर निर्भर करती है, बल्कि उनके शैक्षिक दृष्टिकोण, संसाधनों की उपलब्धता, प्रशिक्षण संस्थान का वातावरण, और डिजिटल शिक्षण के अनुभव पर भी आधारित होती है। सकारात्मक अभिवृति रखने वाले प्रशिक्षणार्थी डिजिटल उपकरणों का प्रयोग शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने, रचनात्मक प्रस्तुति देने, और शिक्षार्थियों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए करते हैं। वहीं, नकारात्मक अभिवृति रखने वाले प्रशिक्षणार्थी इन्हें जटिल, समय-साध्य या अप्रभावी मानते हैं।

21वीं सदी के शिक्षक के लिए डिजिटल साक्षरता एक आवश्यक कौशल बन गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भी शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने और डिजिटल शिक्षण साधनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया है। अतः बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल उपकरणों के प्रति अभिवृति का अध्ययन करना अत्यंत प्रासंगिक एवं समयानुकूल है, क्योंकि यही भविष्य में शिक्षण की दिशा और गुणवत्ता को निर्धारित करेगा। यह अध्ययन बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी सोच, रुचि, आत्मविश्वाश, और व्यवहारिक प्रयोग की प्रवृत्तियों को समझने का प्रयास करेगा। इसके माध्यम से यह ज्ञात किया जा सकेगा कि किस हद तक प्रशिक्षणार्थी डिजिटल माध्यमों को शिक्षण प्रक्रिया में अपनाने के लिए तत्पर हैं और किन कारकों का उनकी अभिवृति पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 

2.   शोध उद्देष्य

1)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति का अध्ययन करना।

2)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति का अध्ययन करना।

3)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत शहरी छात्र और छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति का अध्ययन करना।

 

3.   शोध परिकल्पनाएँ

1)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

2)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

3)     शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत शहरी छात्र और छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

 

4.   शोध विधि एवं पद्धति

प्रस्तुत अध्ययन में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। इस शोध में स्वतंत्र चर के रूप में डिजिटल उपकरण और आश्रित चर के रूप में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की अभिवृति को निर्धारित किया गया। अध्ययन के लिए राजस्थान राज्य के जयपुर जिले के विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत कुल 800 विद्यार्थियों का चयन साधारण यादृच्छिक न्यादर्शन विधि द्वारा किया गया, जिससे सभी प्रशिक्षणार्थियों को चयन का समान अवसर प्राप्त हो सके। डेटा संग्रहण हेतु स्वनिर्मित अभिवृति मापनी का उपयोग किया गया, जो प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल उपकरणों के प्रति दृष्टि और व्यवहार को मापने के लिए तैयार की गई थी। एकत्रित आंकड़ों के सांख्यिकीय विश्लेषण हेतु प्रतिशत, मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ‘टी’ परीक्षण का प्रयोग किया गया, जिससे विभिन्न समूहों के मध्य डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति अभिवृति में विद्यमान अंतर की सार्थकता का निर्धारण किया जा सका।

 

5.   प्रदत्तों की व्याख्या एवं विश्लेषण

परिकल्पना 1 - शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

तालिका संख्या: 1

तालिका 1 ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर

समूह

संख्या

मध्यमान

प्रमाप विचलन

टी मूल्य

परिणाम

ग्रामीण विद्यार्थी

400

166.35

23.63

1.27

स्वीकृत

शहरी विद्यार्थी

400

168.44

23.02

 

 

 

व्याख्या व विश्लेषण

तालिका में प्रदशित आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों का मध्यमान क्रमश: 166.35 और 168.44 है। वहीं दोनों समूहों का प्रमाप विचलन क्रमश: 22.63 और 23.02 है। जिससे टी-परीक्षण की गणना करने पर टी-मान 1.27 प्राप्त हुआ जो कि स्वतंत्रता के अंश 798 के 0.05 एवं 0.01 सार्थकता स्तर पर तालिका के मान 1.96 एवं 2.58 से कम है। अतः शून्य परिकल्पना ‘‘शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।‘‘ स्वीकृत होती है।

आरेख संख्या: 1

आरेख 1 ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति के मध्यमान और प्रमाप विचलन

 

परिकल्पना 2 - शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

 

तालिका संख्या: 2

तालिका 2 ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर

समूह

संख्या

मध्यमान

प्रमाप विचलन

टी मूल्य

परिणाम

ग्रामीण छात्र

200

174.76

20.87

6.09

अस्वीकृत

ग्रामीण छात्राएँ

200

161.33

23.15

 

 

           

व्याख्या व विश्लेषण

तालिका में प्रदशित आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं का मध्यमान क्रमश: 174.76 और 161.33 है। वहीं दोनों समूहों का प्रमाप विचलन क्रमश: 20.87 और 23.15 है। जिससे टी-परीक्षण की गणना करने पर टी-मान 6.09 प्राप्त हुआ जो कि स्वतंत्रता के अंश 398 के 0.05 एवं 0.01 सार्थकता स्तर पर तालिका के मान 1.96 एवं 2.58 से अधिक है। अतः शून्य परिकल्पना ‘‘ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।‘‘ अस्वीकृत होती है।

आरेख संख्या: 2

आरेख 2 ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति के मध्यमान और प्रमाप विचलन

 

परिकल्पना 3 - शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत शहरी छात्र और छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।

तालिका संख्या: 3

तालिका 3 शहरी छात्र और छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर

समूह

संख्या

मध्यमान

प्रमाप विचलन

टी मूल्य

परिणाम

शहरी छात्र

200

165.52

23.09

3.06

अस्वीकृत

शहरी छात्राएँ

200

172.46

22.29

 

 

           

व्याख्या व विश्लेषण

तालिका में प्रदशित आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि शहरी छात्र एवं छात्राओं का मध्यमान क्रमश: 165.52 और 172.46 है। वहीं दोनों समूहों का प्रमाप विचलन क्रमश: 23.09 और 22.29 है। जिससे टी-परीक्षण की गणना करने पर टी-मान 3.06 प्राप्त हुआ जो कि स्वतंत्रता के अंश 398 के 0.05 एवं 0.01 सार्थकता स्तर पर तालिका के मान 1.96 एवं 2.58 से अधिक है। अतः शून्य परिकल्पना ‘‘ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत शहरी छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया जाता है।‘‘ अस्वीकृत होती है।

आरेख संख्या: 3

आरेख 3 शहरी छात्र और छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति के मध्यमान और प्रमाप विचलन

 

6.   निष्कर्ष

·        शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर नहीं पाया गया।  इसका कारण यह है कि आज डिजिटल तकनीक, इंटरनेट और स्मार्टफोन जैसी सुविधाएँ ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से उपलब्ध हो गई हैं। परिणामस्वरूप, दोनों क्षेत्रों के विद्यार्थियों को तकनीकी साधनों के प्रयोग का लगभग समान अवसर प्राप्त होता है, जिससे उनकी अभिवृत्ति एक जैसी दिखाई देती है।

·        शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत ग्रामीण छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर पाया गया।  ग्रामीण छात्राओं की तुलना में, ग्रामीण छात्रों की अभिवृति का मध्यमान अधिक पाया गया जो यह दर्षाता है कि छात्रों की अभिवृति अधिक सकारात्मक है। इसका मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः लड़कों को तकनीकी साधनों तक अधिक पहुँच और स्वतंत्रता मिलती है। वहीं छात्राओं को सामाजिक, पारिवारिक अथवा सांस्कृतिक कारणों से डिजिटल उपकरणों के प्रयोग में सीमित अवसर प्राप्त होते हैं। इस असमानता के कारण छात्रों की अभिवृत्ति अधिक सकारात्मक दृष्टिगोचर होती है।

·        शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में अध्ययनरत शहरी छात्र एवं छात्राओं के द्वारा डिजिटल उपकरणों के उपयोग के प्रति उनकी अभिवृति में सार्थक अंतर पाया गया।  शहरी छात्रों की तुलना में, शहरी छात्राओं की अभिवृति का मध्यमान अधिक पाया गया जो यह दर्शाता है कि छात्रों की अभिवृति अधिक सकारात्मक है। इसका मुख्य कारण यह है कि शहरी क्षेत्रों में छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी साधनों का पर्याप्त अवसर मिलता है। वे प्रोजेक्ट कार्य, प्रस्तुतीकरण और अध्ययन सामग्री की तैयारी में डिजिटल उपकरणों का अधिक रचनात्मक और संगठित ढंग से उपयोग करती हैं। इसके विपरीत, छात्र डिजिटल उपकरणों का प्रयोग अपेक्षाकृत कम शैक्षणिक उद्देश्य से करते हैं।

 

 

 

7.   सुझाव

·        ग्रामीण शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता और इंटरनेट कनेक्टिविटी को और सुदृढ़ किया जाना चाहिए, ताकि वहाँ के विद्यार्थी भी शहरी विद्यार्थियों के समान अवसरों का लाभ उठा सकें।

·        सामाजिक और पारिवारिक कारणों से डिजिटल उपकरणों के प्रयोग में जो सीमाएँ ग्रामीण छात्राओं को झेलनी पड़ती हैं, उन्हें दूर करने के लिए विद्यालयों और परिवारों को मिलकर प्रोत्साहन का वातावरण बनाना चाहिए।

·        सभी बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों के लिए नियमित रूप से डिजिटल साक्षरता, ई-लर्निंग, ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म और शिक्षण ऐप्स के उपयोग पर कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए, ताकि उनका आत्मविश्वाश और दक्षता दोनों बढ़ें।

·        बी.एड. कार्यक्रम में प्रायोगिक शिक्षण के दौरान डिजिटल उपकरणों का उपयोग अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए, जिससे प्रशिक्षणार्थी इनके प्रयोग को व्यवहारिक रूप से समझ सकें।

·        शिक्षक शिक्षकों को भी नवीनतम डिजिटल तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे प्रशिक्षणार्थियों को प्रेरित कर सकें और अपने शिक्षण में तकनीक का प्रभावी उपयोग कर सकें।

·        संस्थानों में तकनीकी संसाधनों की पहुँच सभी विद्यार्थियों कृ चाहे वे ग्रामीण हों या शहरी, छात्र हों या छात्राएँ कृ को समान रूप से सुनिश्चित की जानी चाहिए।

·        डिजिटल उपकरणों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रतियोगिताएँ, डिजिटल प्रोजेक्ट, समूह कार्य और नवाचार आधारित शिक्षण गतिविधियाँ आयोजित की जाएँ।

·        प्रत्येक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में “डिजिटल लर्निंग लैब” स्थापित की जाए जहाँ प्रशिक्षणार्थी नवीनतम तकनीकी उपकरणों का प्रयोग कर सकें।

·        सरकार एवं विश्वविद्यालय स्तर पर तकनीकी उन्नयन हेतु अनुदान और सहायता योजनाएँ चलाई जाएँ, ताकि सभी संस्थानों में समान रूप से डिजिटल संसाधन उपलब्ध हो सकें।

 

REFERENCES

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