URBANIZATION AND LAND USE CHANGE: A GEOGRAPHICAL ANALYSIS OF JAIPUR CITY
शहरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन: जयपुर नगर का एक भौगोलिक विश्लेषण
Dr. Rekha Saini 1
1 Assistant Professor, Deepshikha College of Technical Education, Jaipur, Rajasthan, India
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ABSTRACT |
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English: Urbanization has become a rapid and irreversible process in the present era. Especially in developing countries like India, urbanization has had a profound impact not only on the population structure but also on the land use pattern. Jaipur city, the capital of Rajasthan, is a historic and rapidly developing city, which has witnessed a rapid increase in population and construction activities in the past decades. This change has changed the traditional land use pattern and created a situation of environmental imbalance. This study will analyze the trends of urbanization and the land use changes resulting from it, especially in the context of a historic and planned city like Jaipur city. This research will highlight the socio-economic impacts, environmental consequences and challenges associated with urban planning of this process, as well as propose possible solutions for sustainable urban development. Hindi: वर्तमान युग में शहरीकरण एक तीव्र और अपरिवर्तनीय प्रक्रिया बन चुकी है। विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में शहरीकरण का प्रभाव न केवल जनसंख्या संरचना पर बल्कि भूमि उपयोग पैटर्न पर भी गहरा पड़ा है। जयपुर नगर, राजस्थान की राजधानी, एक ऐतिहासिक एवं तेजी से विकसित हो रहा नगर है, जहाँ बीते दशकों में जनसंख्या और निर्माण गतिविधियों में तीव्र वृद्धि देखी गई है। इस परिवर्तन ने पारंपरिक भूमि उपयोग स्वरूप को बदल दिया है और पर्यावरणीय असंतुलन की स्थिति उत्पन्न की है। इस अध्ययन में शहरीकरण की प्रवृत्तियों और उससे उत्पन्न भूमि उपयोग के परिवर्तनों का विश्लेषण किया जाएगा, विशेषकर जयपुर नगर जैसे ऐतिहासिक और योजनाबद्ध शहर के संदर्भ में। यह शोध इस प्रक्रिया के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों, पर्यावरणीय परिणामों और नगर नियोजन से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करेगा, साथ ही सतत शहरी विकास के लिए संभावित समाधान भी प्रस्तावित करेगा। |
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Received 28 April 2025 Accepted 16 May 2025 Published 17 June 2025 DOI 10.29121/granthaalayah.v13.i5.2025.6218 Funding: This research
received no specific grant from any funding agency in the public, commercial,
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must be properly attributed to its author. |
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Keywords: Urbanization, Land,
Jaipur, Especially, Developing, Environmental, शहरीकरण, भूमि, जयपुर, विशेष
रूप से, विकासशील, पर्यावरण |
1. प्रस्तावना
वर्तमान
वैश्वीकरण और
आर्थिक
प्रगति के युग
में शहरीकरण
एक तीव्र गति
से बढ़ती हुई
प्रक्रिया बन
चुकी है, जिसने
विश्व के अधिकांश
देशों,
विशेष रूप से
विकासशील
राष्ट्रों
में भूमि उपयोग
के स्वरूप को
गहराई से
प्रभावित
किया है।
शहरीकरण का
तात्पर्य
है—जनसंख्या
का ग्रामीण
क्षेत्रों से
शहरी
क्षेत्रों की
ओर स्थानांतरण, जिसके
परिणामस्वरूप
नगरों का
भौतिक,
आर्थिक और
सामाजिक
विस्तार होता
है। यह प्रक्रिया
भूमि पर
अत्यधिक दबाव
डालती है और
उसके पारंपरिक
उपयोगों में
परिवर्तन
लाती है।
भूमि
उपयोग
परिवर्तन एक
भौगोलिक घटना
है, जिसमें
कृषि भूमि, वनों, जलाशयों
और खुले
क्षेत्रों को
आवासीय,
वाणिज्यिक, औद्योगिक
अथवा अन्य
शहरी
प्रयोजनों
में परिवर्तित
किया जाता है।
यह परिवर्तन
केवल भौतिक
स्वरूप तक
सीमित नहीं
होता,
बल्कि
सामाजिक, पर्यावरणीय
और आर्थिक
संतुलन को भी
प्रभावित
करता है।
तीव्र
जनसंख्या
वृद्धि,
आवास की
बढ़ती मांग, अव्यवस्थित
शहरी विस्तार, आधारभूत
संरचनाओं का
विकास और
नीतिगत निर्णय
भूमि उपयोग
में विविध
बदलावों के
प्रमुख कारक
हैं।
भारत जैसे
देश में, जहाँ
नगरीय
जनसंख्या में
निरंतर
वृद्धि हो रही
है, वहाँ
भूमि उपयोग
परिवर्तन एक
जटिल और
बहुआयामी
समस्या बन गई
है। नगरों के
आसपास के
ग्रामीण
क्षेत्र तेजी
से शहरी
क्षेत्र में
परिवर्तित हो
रहे हैं, जिससे
कृषि भूमि में
कमी, हरित
आवरण का ह्रास, और
पर्यावरणीय
असंतुलन जैसी
समस्याएँ
उत्पन्न हो
रही हैं।
जयपुर का
शहरी
परिदृश्य
बीते दो दशकों
में नाटकीय
रूप से बदला
है। पहले जहाँ
कृषि और खुली भूमि
प्रमुख थीं, वहीं
अब आवासीय
कॉलोनियाँ, वाणिज्यिक
संकुल,
सड़क
नेटवर्क और
औद्योगिक
क्षेत्रों का
प्रभुत्व
बढ़ा है। इस
शोधपत्र का
उद्देश्य है –
जयपुर नगर में
शहरीकरण के
प्रभावों का
विश्लेषण
करते हुए भूमि
उपयोग पैटर्न
में हुए परिवर्तनों
की भौगोलिक
व्याख्या
करना।
2. अध्ययन का उद्देश्य
1) जयपुर
नगर में
शहरीकरण की
प्रवृत्तियों
का विश्लेषण
करना।
2) भूमि
उपयोग में आये
परिवर्तनों
की भौगोलिक रूपरेखा
प्रस्तुत
करना।
3) उपग्रह
चित्रों एवं
भौगोलिक
सूचना
प्रणाली (GIS) के
माध्यम से
भूमि उपयोग का
तुलनात्मक
अध्ययन करना।
4) भूमि
उपयोग
परिवर्तन के
सामाजिक, आर्थिक
एवं
पर्यावरणीय
प्रभावों की
पहचान करना।
5) नीति-निर्माताओं
के लिए सुझाव
प्रस्तुत करना।
3. अध्ययन क्षेत्र: जयपुर नगर का संक्षिप्त परिचय
भारत के
उत्तर-पश्चिम
भाग में स्थित
राजस्थान
राज्य का
प्रमुख नगर
जयपुर न केवल
अपनी ऐतिहासिक
और
सांस्कृतिक
विरासत के लिए
प्रसिद्ध है, बल्कि
यह एक
योजनाबद्ध
नगर के रूप
में भी विशेष
रूप से जाना
जाता है। 'गुलाबी
नगर' के
नाम से
प्रसिद्ध
जयपुर की
स्थापना 1727 ई.
में आमेर के
महाराजा सवाई
जयसिंह
द्वितीय द्वारा
की गई थी। यह
नगर अरावली
पर्वतमाला की तलहटी
में स्थित है, जिसकी
भौगोलिक
स्थिति इसे
जलवायु,
प्राकृतिक
संसाधनों, तथा
नगरीय
विस्तार के
दृष्टिकोण से
विशिष्ट बनाती
है।
भौगोलिक
दृष्टि से
जयपुर नगर की
अवस्थिति (26.9°
उत्तरी
अक्षांश और 75.8°
पूर्वी
देशांतर) इसे
अर्द्धशुष्क
जलवायु क्षेत्र
में रखती है, जहाँ
ग्रीष्म ऋतु
अत्यंत गर्म
तथा शीतकाल अपेक्षाकृत
शुष्क होता
है। नगर का
स्थलाकृतिक स्वरूप
मुख्यतः समतल
मैदानों से
युक्त है, यद्यपि
दक्षिण-पश्चिमी
भागों में
अरावली की निम्न
पर्वत
शृंखलाएँ भी
पाई जाती हैं।
भूमि
उपयोग की
दृष्टि से
जयपुर नगर में
तेजी से
परिवर्तन
देखा गया है।
प्रारंभ में
जहाँ कृषि
भूमि,
खुले
क्षेत्र तथा
प्राकृतिक जल
स्रोत प्रमुख
थे, वहीं
वर्तमान में
शहरी विस्तार, आवासीय
क्षेत्रों की
वृद्धि,
वाणिज्यिक
प्रतिष्ठानों
का विकास और
औद्योगिकीकरण
ने भूमि उपयोग
के स्वरूप को
अत्यधिक प्रभावित
किया है।
बढ़ती
जनसंख्या और
आंतरिक पलायन
ने नगर के मूल
भौगोलिक
संतुलन को भी
प्रभावित
किया है, जिससे
सामाजिक, पर्यावरणीय
और भौगोलिक
चुनौतियाँ
उत्पन्न हुई
हैं।
4. अनुसंधान पद्धति
यह अध्ययन
मुख्यतः
वर्णनात्मक
एवं विश्लेषणात्मक
है। इसमें
द्वितीयक
आँकड़ों जैसे
जनगणना
रिपोर्ट, नगर विकास
योजनाएँ, उपग्रह
चित्र (2000,
2010, 2020), GIS डेटा, नगर
निगम
रिपोर्ट्स
तथा राजस्थान
सरकार के भू-उपयोग
आंकड़ों का
उपयोग किया
गया है। ArcGIS सॉफ़्टवेयर
की सहायता से
भूमि उपयोग की
मैपिंग की गई
है।
5. शहरीकरण की प्रवृत्तियाँ (2000–2020)
जयपुर में
शहरीकरण की
गति विशेष रूप
से वर्ष 2000 के बाद
तीव्र हुई है।
इसका प्रमुख
कारण रहा:-
·
तीव्र
जनसंख्या
वृद्धि
·
ग्रामीण
क्षेत्रों का
शहरी सीमा में
विलय
·
औद्योगीकरण
एवं पर्यटन का
विकास
·
बेहतर
यातायात एवं
संचार
व्यवस्था
·
रियल
एस्टेट एवं
आवास योजनाओं
की वृद्धि
तालिका 1
तालिका 01 जयपुर
नगर की
जनसंख्या
वृद्धि (2001-2021) |
||
वर्ष |
जनसंख्या
(लाख में) |
वृद्धि
दर (%) |
2001 |
23.2 |
— |
2011 |
30.5 |
31.4% |
2021 |
40.1 (अनुमानित) |
31.4% |
6. भूमि उपयोग परिवर्तन का विश्लेषण
जयपुर में
भूमि उपयोग
परिवर्तन को
तीन मुख्य श्रेणियों
में वर्गीकृत
किया जा सकता है:-
·
कृषि भूमि
का क्षरण : 2000
में जयपुर के
बाहरी
क्षेत्रों
में कृषि भूमि
प्रमुख थी। 2020 तक
इसका एक बड़ा
भाग आवासीय और
व्यावसायिक
क्षेत्रों
में बदल गया।
·
आवासीय
एवं
वाणिज्यिक
विस्तार : नवीन
टाउनशिप, कॉलोनियाँ, अपार्टमेंट, मॉल
और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स
तेजी से उभरे
हैं।
मानसरोवर, जगतपुरा, वैशाली
नगर, और
टोंक रोड पर
विशेष रूप से
यह प्रवृत्ति
देखी गई है।
·
हरित
क्षेत्र और जल
संसाधनों का
ह्रास : जल
निकायों (जैसे
मानसागर झील)
और हरित
पट्टियों में
गिरावट आई है, जिससे
पारिस्थितिक
तंत्र
प्रभावित हुआ
है।
7. उपग्रह चित्रों द्वारा भूमि उपयोग परिवर्तन का विश्लेषण
उपग्रह
चित्रों के
विश्लेषण से
निम्नलिखित परिवर्तन
उजागर हुए:-
·
2000:
कृषि भूमि – 45%, आवासीय
– 30%, हरित
क्षेत्र – 15%, जल
निकाय – 10%
·
2010:
कृषि भूमि – 32%, आवासीय
– 42%, हरित
क्षेत्र – 13%, जल
निकाय – 8%
·
2020:
कृषि भूमि – 20%, आवासीय
– 55%, हरित
क्षेत्र – 10%, जल
निकाय – 5%
8. भूमि उपयोग परिवर्तन के प्रभाव
1)
सामाजिक
प्रभाव
·
पारंपरिक
ग्राम्य
संस्कृति का
क्षय
·
जनसंख्या
का असंतुलित
वितरण
·
झुग्गी
बस्तियों की
वृद्धि
2)
आर्थिक
प्रभाव
·
ज़मीन के
मूल्य में अत्यधिक
वृद्धि
·
ग्रामीणों
की आजीविका पर
असर
·
सेवा
क्षेत्र में
रोजगार के
अवसर
3)
पर्यावरणीय
प्रभाव
·
जलवायु
में परिवर्तन
(शहरी हीट
आइलैंड प्रभाव)
·
जलस्तर
में गिरावट
·
जैवविविधता
में कमी
4)
नीति और
योजना
विश्लेषण
राज्य
सरकार और
जयपुर विकास
प्राधिकरण (JDA) द्वारा
कई योजनाएँ
लागू की गई
हैं, जैसे
मास्टर प्लान-2025, स्मार्ट
सिटी मिशन, AMRUT योजना
इत्यादि।
लेकिन इन
योजनाओं में
भूमि संरक्षण
और हरित
क्षेत्र की
रक्षा के लिए
पर्याप्त ठोस
कदमों की कमी
रही है।
9. निष्कर्ष
जयपुर नगर
में शहरीकरण
की तीव्र गति
ने भूमि उपयोग
के पारंपरिक
स्वरूप को बदल
दिया है। कृषि
भूमि,
जल संसाधन और
हरित क्षेत्र
तेजी से घट
रहे हैं और
आवासीय
वाणिज्यिक
उपयोग में
वृद्धि हो रही
है। यह
परिवर्तन
सामाजिक-सांस्कृतिक
संरचना,
पर्यावरण
तथा
अर्थव्यवस्था
पर व्यापक
प्रभाव डाल
रहा है।
10.सुझाव
·
संतुलित
भूमि उपयोग
योजना विकसित
की जाए जो दीर्घकालिक
पर्यावरणीय
दृष्टिकोण को
ध्यान में
रखे।
·
GIS
आधारित
मास्टर प्लान
लागू किए जाएँ
ताकि अनधिकृत
विकास रोका जा
सके।
·
हरित
क्षेत्र का
संरक्षण, विशेष रूप
से जल निकायों
और जैव
विविधता क्षेत्रों
की रक्षा
आवश्यक है।
·
सार्वजनिक
सहभागिता
बढ़ाकर नगर
नियोजन में जनमत
को सम्मिलित
किया जाए।
·
शहरी कृषि
और सामुदायिक
उद्यानों को
बढ़ावा दिया
जाए।
संदर्भ सूची
Develop a balanced land use plan that takes into
account long-term environmental
perspectives.
Implement GIS based master plans
to prevent unauthorized development.
Conservation
of green cover, especially water bodies and biodiversity areas is essential.
Involve public opinion in city planning by increasing public participation.
Promote urban agriculture and community gardens.
Census of India Reports (2001, 2011, 2021 estimates)
Jaipur Development Authority – Master
Plan Report 2025
ISRO (Bhuvan) Satellite Image Reports
Chandna, R.C. (2021). Urban Geography.
Kalyani Publishers.
Ministry of
Urban Development, Government
of India Reports
Sharma, N.
(2020). "Urbanization and Land Use Change in
Jaipur," Journal of Regional Studies
Singh, M.
(2019). Urban Growth in Rajasthan. Rawat Publications.
Rajasthan
State Pollution Control Board – Annual
Reports
Smart Cities
Mission Guidelines, MoHUA
UN Habitat Reports on Urban Expansion (2022)
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