STUDY OF
EDUCATIONAL ACHIEVEMENT OF SECONDARY SCHOOL STUDENTS
माध्यमिक विद्यालय के छात्र और छात्राओं की शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन
Shweta Singh 1, Dr. Narendra Pandey 2
1 Research Scholar, Department of
Education, Magadh University, Bodhgaya
2 Associate Professor, Department of
Education, Magadh University, Bodhgaya
|
ABSTRACT |
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English: The study of
educational achievement of secondary school students in Gaya district of
Bihar is an important effort towards understanding the current educational
system and performance of students. Gaya district, which is one of the major
historical and educational centers of Bihar, has a constantly increasing
participation of boys and girls in secondary education here. To know the
comparison of educational achievement of boys and girls studying at secondary
level, the presented research work was conducted on 200 students, 100 boys
and 100 girls of class 9 and 10. Many points of comparison were considered
such as gender and educational achievement of rural and urban boys and girls,
etc. have been studied. Hindi: बिहार के गया जनपद में माध्यमिक विद्यालय के छात्र और छात्राओं की शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन वर्तमान शैक्षिक व्यवस्था और छात्रों के प्रदर्शन को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। गया जनपद, जो कि बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक और शैक्षिक केंद्रों में से एक है, यहाँ की माध्यमिक शिक्षा में छात्रों और छात्राओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत छात्र और छात्राओं की शैक्षिक उपलब्धि की तुलना जानने के लिए विषयक प्रस्तुत शोध कार्य को कक्षा 9 व 10 के 100 छात्र और 100 छात्राओं कुल 200 छात्रों पर संपन्न किया गया। तुलना करने के कई बिंदुओं पर गौर किया गया जैसे लिंग और ग्रामीण व शहरी छात्र और छात्राओं की शैक्षिक उपलब्धि, आदि पर अध्ययन किया गया है। |
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Received 21 February 2025 Accepted 25 March 2025 Published 30 April 2025 DOI 10.29121/granthaalayah.v13.i4.2025.6196 Funding: This research
received no specific grant from any funding agency in the public, commercial,
or not-for-profit sectors. Copyright: © 2025 The
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must be properly attributed to its author. |
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Keywords: Secondary
School, Studying, Male and Female Students, Academic Achievement, Motivation
Etc., माध्यमिक
विद्यालय, अध्ययनरत, छात्र और
छात्राए, शैक्षिक
उपलब्धि, अभिप्रेरणा
आदि। |
1. प्रस्तावना
शिक्षा एक
महत्वपूर्ण
और
सर्वव्यापी
विषय है। यह
मानव की एक
विशेष
उपलब्धि है।
अतीतकाल से
मनुष्य ने
जागरुक रहकर
अपनी वॉक
शक्ति का और
व्यक्ति और
व्यक्ति के
बीच, समुदाय
और समुदाय के
बीच, तथा
संतति और
संतति के बीच
अपने
व्यावहारिक अनुभव
भंडार का
संचार करने के
लिए उपयोग
किया है।
इनमें
प्राकृतिक
घटनाओं,
नियमों, विधि
निषेध की
संकेत भाषा का
उपयोग है ताकि
व्यक्तिक
स्मृति के
माध्यम से
पूरी जाति
जीवित रहसके।
शिक्षा एक
सामाजिक
विकास की
आवश्यकता है।
समुदाय की
स्वभाविक
विशेषता रही
है। उसने
सामाजिक
विकास के हर
युग में समाज
को दिशा और
स्वरूप देने
में सहायता की
है। स्वयं
शिक्षा का
विकास काफी
अवरुद्ध नहीं
हुआ। मनुष्य
के सर्वोच्च
आदर्शों को
इसने
प्रवाहित किया
है। मार्ग को
भी शिक्षा ने
काफी सच्चाई से
अंकित किया
है. जिसमें
कुछ युग
उत्थान के हैं, कुछ
पतन के हैं, कुछ
संघर्ष के हैं, और
कुछ संतुलन और
बिखराव के
हैं। शिक्षा
का प्रारंभ
बेसिक
विद्यालय से
होता है इसलिए
यह आवश्यक है
कि हमारे देश
में शिक्षा की
व्यवस्था करने
वाली सरकारें
बेसिक
विद्यालय के
उचित संगठन
तथा संचार की
ओर विशेष
ध्यान दें।
विद्यालय
समाज का लघु
रूप है। जिस
प्रकार समाज में
विभिन्न
सामाजिक
आर्थिक स्तर
वाले लोग तथा
अलग-अलग धर्म
मानने वाले
लोग रहते हैं।
उसी प्रकार
विद्यालय में
अध्ययन हेतु
आने वाले छात्रों
का सामाजिक
आर्थिक स्तर
तथा जाति धर्म
आदि विभिन्न
होते हैं
विद्यालय में
अध्ययन करने
वाले
प्रत्येक
छात्र दिखने
में स्मार्ट
लगते हैं
लेकिन गुणों
के आधार पर
परस्पर भिन्न
होते हैं
गुणों में
भिन्नता के
कारण उनकी विद्यालय
में शैक्षणिक
उपलब्धि में
भी मिन्नता
पाई जाती है।
छात्र की
शैक्षिक
उपलब्धि का
स्तर निम्न
होता है।
जिसके आधार पर
शिक्षक उसका
आकलन करते हैं
शिक्षक आकलन
के आधार पर ही
योजनाएं
बनाते हैं। नई
योजनाओं के
आधार पर
शिक्षण कार्य
करने पर
छात्रों को
उसकी सामग्री
के अनुसार
शैक्षिक
उपलब्धि
प्राप्त करने
में सफल होता
है। छात्र की
शैक्षिक
उपलब्धि को
उसकी सफलता
रुचि अध्ययन
की आदत,
वातावरण आदि
अनेक कारक
प्रभावित
करते हैं। इसलिए
एक शिक्षक के
लिए यह परम
आवश्यक है कि
शिक्षण
योजनाएं
बनाते समय
शैक्षिक
उपलब्धि को प्रभावित
करने वाले
कारकों का
ध्यान रखें। इस
प्रकार से
शिक्षा ही वह
साधन है जिसके
माध्यम से
शैक्षिक
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक
प्रगति को
सुनिश्चित
किया जा सकता
है। शिक्षा के
द्वारा ही
बालक का
संतुलित एवं
सर्वाधिक
विकास होता
है। आधारशिला
शिक्षा ही है।
किसी भी जाति
समाज देश तथा
देश की उन्नति
उसकी शिक्षा
पर ही निर्भर
करती है। इस
शिक्षा हर
किसी के जीवन
में सफल होने
के लिए बहुत ही
महत्वपूर्ण
उपकरण है।
इससे जीवन की
चुनौतियों को
कम करने में
बहुत ही मदद
मिलती है। मुश्किल
जीवन में
शिक्षा अवधि
के दौरान
प्राप्त
ज्ञान के किसी
को उनके बारे
में आश्वस्त
करता है।
शिक्षा
जीवन में
बेहतर
संभावनाओं को
प्राप्त करने
के अवसरों के
लिए विभिन्न
दरवाजे खोलती
है। सभी को
जीवन में आगे
बढ़ने और
सफलता प्राप्त
करने के लिए
बेहतर शिक्षा
बहुत जरूरी है।
यह
आत्मविश्वास
विकसित करती
है और एक
व्यक्ति के
व्यक्तित्व
निर्माण में
मदद करती है
औपचारिक
शिक्षा हर
किसी के जीवन
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभाती है।
संपूर्ण
शिक्षा को तीन
विभागों में
विभाजित किया
गया है। बेसिक, माध्यमिक
और उच्च
माध्यमिक ।
शिक्षा के इन
तीन विभागों
में बेसिक
शिक्षा का
महत्व सर्वाधिक
है क्योंकि
बेसिक शिक्षा
ही वह आधार है
जिस पर बालक
का पूरा जीवन
निर्भर करता
है। जब बालक विद्यालय
में औपचारिक
रूप से शिक्षा
प्राप्ति के
लिए जाता है, तो
विद्यालय में
उसके
व्यक्तित्व
निर्माण में
शिक्षक का
महत्व पूर्ण
स्थान होता है
जो छात्रों का
मार्गदर्शन
कर उनकी
आंतरिक
प्रतिभाओं का
विकास करते
हैं।
विद्यालय के
वातावरण और
साथ ही समूह
के संपर्क में
रहकर बालक जो
कुछ सीखता है
या जिन विषयों
का अध्ययन
करता है उसकी
जांच परीक्षा
प्रणाली के
आधार पर की
जाती है।
जिससे बालक का
शैक्षिक स्तर
पता चलता है। बालक
की शिक्षा
लक्ष्य
आधारित होती
है उसी के आधार
पर वह अपने
अध्ययन योजना
बनाता है।
2. शैक्षिक उपलब्धि
आज
व्यक्ति के
जीवन में व्यक्तिक
भिन्नता का
ज्ञान,
हमने किसी
कार्य को
कितना सीखा
इसका ज्ञान उपलब्धि
के द्वारा
होता है।
मनोविज्ञान
के परीक्षणों
की श्रृंखला
के प्रयोग में
आन वाली उपलब्धि
का शैक्षणिक
जीवन में
अत्यंत महत्व
है छात्रों के
चयन, उन्नति
एवं
तुलनात्मक
अध्ययन आदि
में इस परीक्षण
का प्रयोग
किया जाता है।
शैक्षिक
उपलब्धि
विद्यालयों
के विषय
संबंधी
अर्जित ज्ञान का
परीक्षण है।
शैक्षिक
उपलब्धि का
अर्थ ज्ञान
प्राप्त करना
एवं कौशल का
विकास करना
है। शैक्षिक
उपलब्धि
कामहत्व
प्रत्येक
शिक्षण कार्य
में अत्यंत
आवश्यक है
इससे छात्रों
के बौद्धिक
स्तर के
ओपिनियन का
पता चलता है।
शैक्षिक उपब्धि
के अर्थ एवं
भाव को अधिक
स्पष्ट करने के
लिए विभिन्न
विद्वानों ने
परिभाषाएं दी
है जो इस
प्रकार हैं-
गैरिसन 'शैक्षिक
उपलब्धि बालक
की वर्तमान
योग्यता या
किसी विशिष्ट
विषय के
क्षेत्र में
उसके ज्ञान की
सीमा का मापन
करती है
चार्ल्स
स्किनर 'कार्य
का अंतिम
परिणाम है
शैक्षिक
उपलब्धि है
जो
छात्रों के
सीखने के बारे
में जानकारी
प्राप्त करता
है।" उपरोक्त
परिभाषा ओं के
आधार पर हम कह
सकते हैं कि
उपलब्धि में
हैं जिनकी सहायता
से स्कूल में
पढ़ाई जाने
वाले विषयों
और सिखाए जाने
वाले कौशलों
में छात्रों
की सफलता अथवा
उपलब्धि का
ज्ञान
प्राप्त किया
जाता है।
अभिप्रेरणा-
प्रेरणा
मनुष्य की
दैनिक अनुभव
का विषय है। प्रेरणा
हमें कहीं से
भी मिल सकती
है-कर्तव्य बोध
से, अपनों
के प्रति
स्नेह के कारण, अपने
मन की शांति व
सुख के कारण, अथवा
प्रभु के
प्रति समर्पण
की भावना से।
अकेला मनुष्य
उठ जाता है, वह
संसार की झंझट
ओ से तंग आ
जाता है। वह
चाहता है कि
कोई उसे
प्रेरणा दे तो
कोई कंधे पर
हाथ रखकर उसकी
पीठ थपथपाएं।
कार्य सरल
होना कठिन बिना
प्रेरणा के
नहीं हो सकता।
सामर्थय होने
के बाद जितनी
प्रेरणा
जबरदस्त होती
है काम उतनी
ही तेजी से
होगा। केवल
अनुभव में ही
नहीं व्यवहार
में भी प्रेरणा
का
महत्वपूर्ण
स्थान है।
अभिप्रेरणा छात्र
के व्यवहार
में
महत्वपूर्ण
भूमिका निभाती
है।
अभिप्रेरणा
चरित्र
निर्माण में
भी सहायक होती
है।
अभिप्रेरणा
घ्यान
केंद्रित करने
में व्यक्ति
की सहायता
करती है और
प्रेरणा
हमारे
व्यवहार में
विविधता लॉकर
लक्ष्य प्राप्ति
में सहायता
प्रदान करती
है। प्रेरणा
हमारे
व्यवहार में
निरंतरता
बनाए रखती है
और हम तब तक
अपने
प्रयासों में
कमी नहीं लाते
जब तक कि
हमारा लक्ष्य
प्राप्त नहीं
हो जाता। अतः
अभिप्रेरणा
के अर्थ को
स्पष्ट करने
के लिए हमें
इसकी अर्थ को
समझना होगा जो
इस प्रकार से
है-
अभिप्रेरणा
शब्द को
अंग्रेजी के Motivation/Inspiration के
समान अर्थी के
रूप में
प्रयोग किया
जाता है।
मोटिवेशन
शब्द की
उत्पत्ति
लैटिन भाषा के
मोटम'
से हुई है।
जिसका अर्थ
है-ज्व उवअम
अर्थात गति
प्रदान करना।
इस प्रकार
अभिप्रेरणा
वह कारक है जो
कार्य को गति
प्रदान करता
है। अतः प्रेरणा
एक सक्रिया
होती है। जो
जी को क्रिया
के प्रति
उत्तेजित
करती है। जब
हमें किसी
वस्तु की आवश्यकता
होती है तो
हमारे अंदर एक
अच्छी इच्छा
उत्पन्न होती
है। इसके
फलस्वरूप
उर्जा उत्पन्न
हो जाती है जो
प्रेरक शक्ति
को गतिशील बनाती
है। अतः अभिप्रेरणा
के द्वारा
व्यवहार को
दृढ़ किया जा
सकता है।
अभिप्रेरणा
को कुछ इस तरह
से परिभाषित किया
जा सकता है।
समस्या
कथन :-
“माध्यमिक
विद्यालय के
छात्र और
छात्राओं की शैक्षिक
उपलब्धि का
अध्ययन”|
न्यादर्श
:-
वर्तमान
शोध हेतु
बिहार के गया
जनपद में माध्यमिक
विद्यालय में
अध्ययन करने
वाले 100 छात्र
और 100 छात्राओं
कुल 200 छात्रों
को शामिल कर
उनको लिंग एवं
क्षेत्र के
आधार पर
वर्गीकृत
किया गया है।
शोध
विधि :-
वर्तमान
शोध हेतु
सर्वेक्षण
विधि का
प्रयोग किया
गया है।
उपकरण
:-
1)
शैक्षिक
उपलब्धि-
स्वनिर्मित
उपकरण
शोध
के उद्देश्य :-
1)
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि का
तुलनात्मक
अध्ययन।
2)
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
ग्रामीण एवं
शहरी छात्रों
की शैक्षिक
उपलब्धि का तुलनात्मक
अध्ययन ।
परिकल्पनाएं
:-
1)
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि में
सार्थक अन्तर
नहीं है।
2) माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
ग्रामीण एवं
शहरी छात्रों
की शैक्षिक
उपलब्धि में सार्थक
अन्तर नहीं
है।
परिकल्पनाओं
का विश्लेषण
एवं व्याख्या
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि के
मध्य,मध्यमान
मानक विचलन
क्रान्तिक
अनुपात का विश्लेषण
एवं व्याख्या
तालिका संख्या-1
तालिका
संख्या-1 माध्यमिक
विद्यालयों
में
अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि |
|||||
कुल
छात्र |
संख्या |
मध्यमान |
मनक
विचलन |
क्रान्तिक
संख्या |
सार्थकता
का स्तर |
छात्र |
100 |
47.12 |
4.28 |
2.10 |
0.01* |
छात्रायें |
100 |
48.12 |
3.92 |
चित्र संख्या 1
चित्र
संख्या 1 माध्यमिक
विद्यालयों
में
अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि |
तालिका
संख्या 1 में
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि के
मध्य सम्बन्ध
को दर्शाया
गया है।
जिसमें
छात्रों का
मध्यमान एवं
मानक विचलन
क्रमशः 47.12 (4.28) जबकि
छात्राओं का
मध्यमान एवं
मानक विचलन
क्रमशः 48.12 (3.92) प्राप्त
हुआ है। इन
दोनों के मध्य
क्रान्तिक अनुपात
2.10 प्राप्त
हुआ है।
प्राप्त
क्रान्तिक
अनुपात सार्थकता
स्तर से अधिक
है जो इस बात
का प्रमाण है कि
दोनों समूहों
छात्र एवं
छात्राओं में
शैक्षिक
उपलब्धि के
मध्य सार्थक
अन्तर पाया
जाता है।
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
ग्रामीण
छात्रों एवं
शहरी छात्रों
की शैक्षिक
उपलब्धि के
मध्य, मध्यमान
मानक विचलन व क्रान्तिक
अनुपात का
विश्लेषण एवं
व्याख्या
तालिका
संख्या-2 माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
ग्रामीण एवं
शहरी छात्रों
की शैक्षिक
उपलब्धि
कुल
छात्र |
संख्या |
मध्यमान |
मनक
विचलन |
क्रान्तिक
संख्या |
सार्थकता
का स्तर |
ग्रामीण छात्र |
100 |
35.96 |
4.36 |
3.84 |
0.01* |
शहरी छात्र |
100 |
36.19 |
3.89 |
चित्र
संख्या 2
चित्र
संख्या 2 माध्यमिक
विद्यालयों
में
अध्ययनरत
ग्रामीण एवं
शहरी
छात्रों की
शैक्षिक
उपलब्धि |
तालिका
संख्या 2 में
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
ग्रामीण
छात्रों एवं
शहरी छात्रों
की और शैक्षिक
उपलब्धि के मध्य
सम्बन्ध को
दर्शाया गया
है। जिसमें
ग्रामीण
छात्रों का
मध्यमान एवं
नानक विचलन
क्रमशः 35.96 (4.36) जबकि
शहरी छात्रों
का मध्यमान
एवं मानक विचलन
क्रमशः 36.19 (4.40) प्राप्त
हुआ है। इन
दोनों के मध्य
क्रान्तिक अनुपात
3.84 प्राप्त
हुआ है।
प्राप्त
क्रान्तिक
अनुपात सार्थकता
स्तर से अधिक
है जो इस बात
का प्रमाण है
कि दोनों
समूहों (ग्रामीण,
शहरी)
के छात्रों
की शैक्षिक उपलब्धि
के मध्य
सार्थक अन्तर
पाया जाता है।
3. निष्कर्ष
प्रस्तुत
अध्ययन में
दोनों
परिकल्पनाओं
के परीक्षण से
यह निष्कर्ष
निकलता है कि
गया जनपद के
माध्यमिक
विद्यालयों
में अध्ययनरत
छात्र एवं
छात्राओं की
शैक्षिक
उपलब्धि में
कोई सार्थक
अंतर पाया गया, जिससे
यह स्पष्ट
होता है कि
लिंग के आधार
पर शैक्षिक
उपलब्धियों
में विशेष भेद
है। यह संकेत
करता है कि
छात्र और
छात्राएं
समान रूप से शैक्षिक
अवसरों का लाभ
नही उठा रहे
हैं। इसी प्रकार, ग्रामीण
एवं शहरी
छात्रों की
शैक्षिक
उपलब्धियों
में भी कोई
महत्वपूर्ण
अंतर पाया गया, जिससे
यह प्रतीत
होता है कि
भौगोलिक
परिवेश अब
शैक्षिक प्रदर्शन
को प्रभावित
करने वाला
प्रमुख कारक
रहा। इन
निष्कर्षों
से यह सिद्ध
होता है कि
गया जनपद में
शिक्षा की
पहुँच और
प्रभाव
समरूपता की ओर
नही बढ़ रही
है, जो
एक सकारात्मक
शैक्षिक
वातावरण और
नीति-प्रभावी
क्रियान्वयन
का संकेत नही
देती है.
Tripathi, K.
(2022). Educational Psychology and Student Achievement. Lucknow: Mohanlal Publications.
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