DEVOTION IN THE FOLK LITERATURE OF PANDIT JAGANNATH
पं० जगन्नाथ के लोक साहित्य में भक्ति-भावना
DOI:
https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i6.2024.2611Abstract [English]
Pandit Jagannath has been a famous folk poet of Haryana who is also known as "Chhota Lakhmichand". Pandit Jagannath holds a prominent place in folk literature and devotion is prominently reflected in his works. Bhakti literature is an important part of Indian folk culture in which there is an expression of love, dedication and spirituality towards God. Similar devotion is also seen in the works of Pandit Jagannath, where he expresses his devotion and faith towards God in simple and lively language. There is a deep spiritual approach in his works where the inclusion of folk language and folk cultures makes his devotional literature even more impressive. This type of literature mentions the glory of God, religious stories and purification of a person's soul. His works are written for the general public, due to which they work to spread religious and spiritual awareness. His works are not only focused on devotion; but various aspects of folk life have also been highlighted in them.
Abstract [Hindi]
पंडित जगन्नाथ हरियाणा के एक प्रसिद्ध लोक कवि हुए हैं जिन्हें श्छोटा लखमीचंदश् के नाम से भी जाना जाता है। पंण् जगन्नाथ लोक साहित्य में एक प्रमुख स्थान रखते हैं और उनकी रचनाओं में भक्ति.भावना प्रमुख रूप से प्रकट होती है। भक्ति.साहित्य भारतीय लोक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें भगवान के प्रति प्रेमए समर्पण और आध्यात्मिकता की अभिव्यक्ति होती है। पंण् जगन्नाथ की रचनाओं में भी इसी प्रकार की भक्ति.भावना देखने को मिलती हैए जहां वे भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को सरल और सजीव भाषा में व्यक्त करते हैं। उनकी रचनाओं में एक गहन आध्यात्मिक दृष्टिकोण है जहां लोक भाषा और लोक संस्कृतियों का समावेश उनके भक्ति साहित्य को और भी प्रभावशाली बना देता है। इस प्रकार के साहित्य में भगवान की महिमाए धार्मिक कथाएँ और व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि का उल्लेख होता है। उनकी रचनाएँ सामान्य जनमानस के लिए लिखी गई है जिससे वे धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं। उनकी रचनाएँ न केवल भक्ति पर केंद्रित हैंय बल्कि उनमें लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर किया गया है।
References
कुमार, पी. (2012), भारतीय लोक साहित्य: परंपरा और परिवेश, नई दिल्ली: साहित्य भवन
मिश्रा, ए. (2015), भारतीय संस्कृति में लोक साहित्य की भूमिका, वाराणसी: काशी प्रकाशन
सिंह, र. (2014), भारतीय लोकगीत और उनकी सांस्कृतिक परंपराएँ, मुंबई: राष्ट्रभाषा प्रकाशन
शुक्ला, ए. (2010), लोक साहित्य का इतिहास, इलाहाबाद: हिंदी ग्रंथ अकादमी
गुप्ता, आर. (2014), मीराबाई और कृष्ण भक्ति की परंपरा, वाराणसी: काशी प्रकाशन
मिश्रा, ए. (2015), भक्ति आंदोलन का समाज पर प्रभाव, नई दिल्ली: साहित्य भवन
सिंह, पी. (2012), भारतीय भक्ति साहित्य का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, मुंबई: राष्ट्रभाषा प्रकाशन
शर्मा, डी. (2010), भक्ति और भारतीय संस्कृति, जयपुर: भारतीय प्रकाशन
मलिक, मा. (2011), पंडित जगन्नाथ रचनावली सर्जन के विभिन्न अंग
चहल, रा. (2019), पं० जगन्नाथ समाज समाचाना ग्रंथावली: सुकीर्ति प्रकाशन
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 357
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 193
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 223
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 228
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 270
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 277
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 288
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 295
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 302
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 316
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 332
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 267
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 353
मलिक, माया और राठी, ज. (2007), पंडित जगन्नाथ रचनावली: एमडीयू प्रकाशन, पृ० सं० 354
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2024 Navita, Sharmila

This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
With the licence CC-BY, authors retain the copyright, allowing anyone to download, reuse, re-print, modify, distribute, and/or copy their contribution. The work must be properly attributed to its author.
It is not necessary to ask for further permission from the author or journal board.
This journal provides immediate open access to its content on the principle that making research freely available to the public supports a greater global exchange of knowledge.












